इंटरनेट का परिचय
परिचय
- क्या है– यह दुनिया भर में फैले हुए अनेक छोटे-बड़े कम्प्यूटर नेटवकों के विभिन्न संचार माध्यमों द्वारा आपस में जुड़ने से बना विशाल व विश्व व्यापी जाल (global network) है।
- यह समान नियमों (protocols) का अनुपालन कर एक-दूसरे से संपर्क स्थापित करते हैं तथा सूचनाओं का आदान-प्रदान संभव बनाते हैं।
- नेटवर्कों का नेटवर्क– दुनियाभर में फैले व्यक्तिगत, सार्वजनिक, शैक्षिक, व्यापारिक तथा सरकारी नेटवकों के आपस में जुड़ने से बनता है।
- संदेशवाहक– इस तकनीक का प्रयोग कर हम किसी सूचना, जिसमें डाटा (data), टेक्स्ट (text), ग्राफ (graph), चित्र (image), ध्वनि (au dio) तथा चलचित्र (video) शामिल है, को पलक झपकते ही दुनिया के एक कोने से दूसरे कोने में भेज सकते हैं।
- संचार क्रांति का प्रवर्तक– इंटरनेट की बढ़ती लोकप्रियता के कारण आधुनिक युग को संचार क्रांति का युग कहते हैं।
इंटरनेट का विकास
स्थापना
- जेसी लिक्लाइडर (JC Licklider) ने सर्वप्रथम इंटरनेट की स्थापना का विचार 1962 में दिया था।
- इसी कारण, इन्हें ‘इंटरनेट का जनक’ भी माना जाता है।
प्रारंभ
- 1969 ई में, अमेरिकी रक्षा विभाग द्वारा आर्पानेट (ARPANET Advanced Research Project Agency Net) के विकास से किया गया।
- यह दुनिया का पहला नेटवर्क था।
- इसका प्रयोग रक्षा विभाग में अनुसंधान व विकास के कार्य में किया गया।
- 1989 में, इंटरनेट को आम जनता के लिए खोल दिया गया।
WWW का आविष्कार
- 1989 में, टिम बर्नर्स ली ने हाइपर टेक्स्ट मार्कअप लैंग्वेज (HTML) का विकास किया।
- रूपरेखा– वर्ल्ड वाइड वेब (www-world wide web) की रूपरेखा टिम बर्नर्स ली (Tim Berners Lee) द्वारा 1989 ई। में दी गई।
- जनक– इंग्लैंड के वैज्ञानिक टिम बर्नर्स ली।
- प्रयुक्त प्रोटोकॉल– वर्ल्ड वाइड वेब (www) पर हाइपर टेक्स्ट ट्रांसफर प्रोटोकाल (http) तथा टीसीपी/ आईपी (TCP/IP) के द्विस्तरीय नियमों का परिपालन किया जाता है।
- पहला आम प्रयोग– 6 अगस्त 1991 को किया गया।
- पहला वेब ब्राउजर– Mosaic वर्ल्ड वाइड वेब पर प्रयुक्त पहला ग्राफिकल वेब ब्राउसर (Graphical web Browser) था। इसका विकास मार्क एण्डरसन (Marc Andreessen) ने 1993 में किया था।
- निशुल्क उपलब्धता– 1993 ई। में, सर्न CERN – European Organization for Nuclear Research) ने वर्ल्ड वाइड वेब को निःशुल्क उपयोग के लिए उपलब्ध कराया।
- W3C की स्थापना– 1994 ई। में, वर्ल्ड वाइड वेब के लिए विभिन्न मानकों तथा प्रोटोकाल का विकास करने के लिए, वर्ल्ड वाइड वेब संघ (World wide web consortium-W3C) की स्थापना की गई।
भारत में इंटरनेट
प्रारंभ
- 1980 के दशक में, जब ERNET(Education and Research Network) के माध्यम से, भारत के पांच प्रमुख संस्थानों को जोड़ा गया।
- बाद में, National Informatics Centre(NIC) द्वारा देश के सभी जिला मुख्यालयों को नेटवर्क से जोड़ा गया।
- जनसामान्य हेतु, 15 अगस्त 1995 ई। को विदेश संचार निगम लिमिटेड (VSNL) ने इंटरनेट सेवा आरंभ की।
प्रमुख इंटरनेट सेवा प्रदाता
- VSNL (विदेश संचार निगम (लिमिटेड),
- BSNL (भारत संचार निगम लिमिटेड),
- MTNL (महानगर टेलीफोन निगम लिमिटेड),
- मंत्रा ऑनलाइन तथा सत्यम ऑनलाइन इत्यादि हैं।
इन कम्पनियों का भारत के अनेकों शहरों में DNS (Domain Name System) सर्वर है।
DNS सर्वर एक कम्प्यूटर है, जो दूसरे कम्प्यूटर के डोमेन (Domain) नाम को IP (Internet Protocol) एड्रेस में अनुवाद करता है।
वर्तमान समय में BSNL द्वारा दो माध्यमों में इंटरनेट की सेवा उपलब्ध कराई जाती है।
- PSTN-Public Switched Telephone Network।
- ISDN – Integrated Services Digital Network।
इंटरनेट से जुड़ने के तरीके
Dial-up Connection
- क्या– इसमें परंपरागत टेलीफोन लाइनों की सहायता से इंटरनेट से जुड़ना शामिल है।
- प्रक्रिया– उपभोगकर्ता, मॉडेम का प्रयोग कर डायल-अप इंटरनेट एक्सेस प्राप्त करते हैं।
- गति– अधिकतम 56 kbps तक
- विशेष तथ्य– जिन क्षेत्रों में ब्रॉडबैंड सुविधा उपलब्ध नहीं है, वहां इस तकनीक का ही प्रयोग किया जाता है।
Broadband
- क्या– उच्च गति पर डाटा का संचरण, ‘ब्रॉडबैंड’ कहलाता है।
- प्रक्रिया– संचार सेवा प्रदाता कंपनियाँ को-एक्सियल केबल, ऑप्टिकल फाइबर केबल आदि बिछाकर, उच्च गति पर इंटरनेट एक्सेस की सुविधा उपलब्ध कराती हैं।
- तकनीक– इसके तहत सेवा प्रदाता, DSL(Digital Subscriber Link) का प्रयोग करते हैं।
- इससे डिजिटल सिग्नलों को केबल में संचारित कर, उपभोक्ता को इंटरनेट से जोड़ा जाता है।
Mobile Telephony
- विकास– 1970 के दशक में।
- इस व्यवस्था के अंतर्गत सेवा क्षेत्र (Service Area) को सेलों ( 20 (Cells) में बाँट लेते हैं।
इंटरनेट के घटक
- पर्सनल कंप्यूटर
- मॉडेम
- संचार माध्यम
- इंटरनेट सॉफ्टवेयर या वेब ब्राउजर, व
- इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर
https://t.me/swayammpofficial001
इंटरनेट की कार्यप्रणाली
निर्माण– दुनियाभर के अनेक छोटे बड़े कम्प्यूटर नेटवर्क को विभिन्न संचार माध्यमों से आपस में जुड़ने से।
Client-Server Model पर कार्य– अर्थात्, इंटरनेट से जुड़ा प्रत्येक कंप्यूटर एक सर्वर से जुड़ा होता है तथा संसार के सभी सर्वर विभिन्न संचार माध्यमों द्वारा आपस मे। सर्वर अपने से जुड़े उपयोगकर्ता (client) को मांगी गयी सूचना या डाटा उपलब्ध कराता है।
डाटा स्थानांतरण
- इंटरनेट से जुड़े कंप्यूटरों के बीच डाटा स्थानान्तरण हेतु, सभी नेटवर्क एक समान नियमों या प्रोटोकाल का उपयोग करते हैं।
- ओपन ऑर्किटेक्चर नेटवर्किंग द्वारा टीसीपी/आईपी (TCP/IP) के द्विस्तरीय नियमों के परिपालन द्वारा सूचनाओं का आदान-प्रदान सुविधाजनक बनाया गया है।
- इसमें सूचनाओं के आदान प्रदान के लिए पैकेट स्विचिंग (Packet Switching) का प्रयोग होता है, जिसमें सूचनाओं का बंडल (Packet) बनाकर एक से दूसरे स्थान ले जाया जाता है।
इंटरनेट सेवा प्रदाता(ISP)
- किसी कंप्यूटर को इंटरनेट से जोड़ने के लिए हमें Internet Service Provider की सेवा लेनी पड़ती है।
- टेलीफोन लाइन या वायरलेस तकनीक द्वारा कंप्यूटर को इंटरनेट सेवा प्रदाता के सर्वर से जोड़ा जाता है। इसके लिए हमें इंटरनेट सेवा प्रदाता को शुल्क देना पड़ता है।
- उदाहरण– जिओ, एयरटेल, वोडाफोन-आइडिया व बीएसएनएल आदि।
इंटरनेट का मालिक
- वस्तुतः, यह किसी व्यक्ति या संस्था के नियंत्रण से परे है।
- चूंकि, इंटरनेट अनेक छोटे बड़े कंप्यूटर नेटवर्क के आपस में जुड़ने से बनता है, अतः इंटरनेट पर अनेक संस्थानों तथा विभिन्न सेवा प्रदाताओं (Service Providers) का थोड़ा-थोड़ा स्वामित्व माना जा सकता है।
प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय मानक निर्धारक (इंटरनेट) संस्थाएं
ISOC (Internet Society)
- क्या– एक गैर-लाभकारी संस्थान है।
- गठन-1992 में,
- कार्य– इंटरनेट से संबंधित मानकों(Standards), प्रोटोकॉल तथा नीतियों (Policies) का विकास करना।
Internet Architecture Board (IAB) : यह ISOC के तहत, इंटरनेट के लिए आवश्यक तकनीकी और इंजीनियरिंग का विकास करता है।
ICANN (Internet Corporation for Assigned Names & Numbers)
- 1998 ई। में स्थापित
- यह संगठन इंटरनेट पर IP Address तथा Domain name प्रदान करने तथा उसके मानकों के निर्धारण का कार्य करता है।
Domain Name Registrars
- क्या– ऐंसी गैर-सरकारी संस्थाए, जो ICANN द्वारा निर्धारित मानकों के अनुसार, इंटरनेट के प्रयोग के लिए डोमेन नेम (Domain Name) प्रदान करती हैं।
- निर्धारण– ICANN या Country Code Top Level Domain (CCTLD) द्वारा।
IRTF (Internet Research Task Force): भविष्य में इंटरनेट की कार्यप्रणाली में सुधार हेतु, अन्वेषण व खोज (Research) को बढ़ावा देता है।
ETF (Internet Engineering Task Force) : इंटरनेट मानकों का विकास करना व उनके उपयोग को प्रोत्साहित करना।
W3C (Word Wide Web Consortium)
- क्या– अंतर्राष्ट्रीय संस्था, जो टिम बर्नर्स ली के नेतृत्व में काम करती है।
- गठन-1994 में,
- कार्य– यह संस्था वर्ल्ड वाइड वेब के प्रयोग के लिए मानकों का निर्धारण करती है।
इंटरनेट पर प्रयुक्त प्रोटोकॉल
TCP/IP
- पूरा नाम– Transmission Control Protocol
- क्या– ये दोनों अलग-अलग प्रोटोकॉल हैं, पर चूंकि इनका प्रयोग एक साथ किया जाता है, अतः इन्हें एक साथ इंटरनेट प्रोटोकाल सूट (Internet Protocol Suite) कहते हैं।
- प्रयोग– उनके द्वारा, इंटरनेट पर दूरस्थ कंप्यूटर तथा सर्वर के बीच संचार स्थापित किया जाता है।
- TCP/IP इंटरनेट के संचार प्रोटोकॉल (Communication Protocol) हैं।
- TCP
- यह पैकेट स्विचिंग (Packet Switching) तकनीक का प्रयोग करता है।
- जब किसी सूचना या डाटा को किसी कंप्यूटर द्वारा इंटरनेट पर भेजा जाता है, तो यह उसे छोटे-छोटे समूहों (units) में विभाजित कर देता है।
- इन समूहों को पैकेट (Packets) कहा जाता है।
- IP
- यह प्रत्येक पैकेट को एक विशेष पता (address) देता है तथा गंतव्य तक पहुंचाने के लिए उनका रास्ता (path) तय करता है।
- किसी एक सूचना के सभी पैकेट्स अलग-अलग रास्तों से अपने गंतव्य तक पहुंचते हैं।
- नेटवर्क से जुड़ा राउटर (Router) प्रत्येक पैकेट को अपने गंतव्य तक पहुंचाने में मदद करता है।
- गंतव्य पर पुनः इन पैकेट्स को TCP की सहायता से सही क्रम में व्यवस्थित कर, कंप्यूटर को दिया जाता है।
SMTP
- पूरा नाम– Simple Mail Transfer Protocol
- क्या– यह इंटरनेट पर e-mail के लिए प्रयुक्त सर्वाधिक लोकप्रिय प्रोटोकाल।
- उपयोग– उपयोगकर्ता(client) के कंप्यूटर से मैसेज को e-mail सर्वर तक, और पुनः सर्वर से प्राप्तकर्ता तक भेजने के लिए।
HTTP
- पूरा नाम– Hypertext Transfer Protocol
- प्रयुक्त– WWW पर hyper text documents को एक स्थान से दूसरे स्थान पर भेजने के लिए।
- विशेष
- वेब सर्वर से उपयोगकर्ता तक web page का हस्तांतरण इसी प्रोटोकाल द्वारा किया जाता है।
- यह Client-Server Principle पर काम करता है।
FTP
- पूरा नाम- File Transfer Protocol
- उपयोग– नेटवर्क से जुड़े किसी कंप्यूटर तथा सर्वर के बीच फाइल स्थानांतरित करने के लिए।
- फाइल में डाटा, टैक्स्ट, ग्राफ, चित्र, ध्वनि (audio) या चलचित्र (video) हो सकता है।
- फाइल स्थानान्तरण प्रक्रिया– इसके लिए दूरस्थ (remote) कंप्यूटर से Log-in द्वारा संपर्क स्थापित किया जाता है। इसके बाद फाइल को upload या download किया जाता है।
गोफर(Gopher)
- क्या– यह एक प्रोटोकॉल साफ्टवेयर है।
- प्रयोग– इंटरनेट द्वारा दूरस्थ कम्प्यूटर से डाक्यूमेंट्स को खोजना, प्राप्त करना तथा उन्हें प्रदर्शित करना संभव बनाता है।
टेलनेट(Telnet)
- क्या– टेलनेट एक टेक्स्ट आधारित संचार प्रोटोकॉल है, जो कमांड लाइन इंटरफेस (Command Line Inter face) का उपयोग करता है।
- महत्व– इसके द्वारा, दो अलग-अलग स्थान पर स्थित कम्प्यूटरों को दूरसंचार नेटवर्क द्वारा आपस में जोड़कर, Remote कम्प्यूटर के डाटा और फाइलों का उपयोग किया जा सकता है।
- उपनाम– Remote Login।
- क्रियाविधि– इसमें Local कम्प्यूटर पर टाइप कमांड, Remote कम्प्यूटर द्वारा क्रियान्वित होता है, तथा Romote कम्प्यूटर में होने वाली प्रोसेसिंग तथा परिणाम को Local कम्प्यूटर के मॉनीटर पर देखा जाता है।
WWW-World Wide Web
क्या है?
- उपनाम– इसे W3 या वेब (Web)।
- क्या– यह इंटरनेट पर उपलब्ध सर्वाधिक लोकप्रिय व उपयोगी सेवा है।
- Hyperlink– वर्ल्ड वाइड वेब (www) पर लाखों वेब पेज डाक्यूमेंट के रूप में उपलब्ध हैं। यह हाइपर लिंक द्वारा आपस में जुड़ी हुयी सूचनाओं का विशाल समूह है।
- web browser– सूचनाओं को, इसकी सहायता से प्राप्त किया जा सकता है।
- HTTP– विभिन्न कंप्यूटरों में एकत्रित सूचनाओं को Hyper text documents की सहायता से एक-दूसरे से जोड़ा जाता है। इन सूचनाओं को एक स्थान से दूसरे स्थान तक भेजने के लिए Hyper text transfer protocol का प्रयोग किया जाता है।
- www ने इंटरनेट को ‘सूचना राजमार्ग’ (Information Highway) में परिवर्तित कर दिया है।
- Wab page
- WWW पर संग्रहित पेज। ये एचटीएमएल (hyper text mark-up language) का प्रयोग कर तैयार किए जाते हैं तथा hyperlink द्वारा एक-दूसरे से जुड़े होते हैं।
- वेब पेज को एक कंप्यूटर से दूसरे कंप्यूटर तक भेजने के लिए Hyper text transfer protocol (Http) का प्रयोग किया जाता है।
- इस प्रोटोकाल से इंटरनेट सेवा प्रदान करने वाला कंप्यूटर Web server, जबकि इस सेवा का उपयोग करने वाला web client कहलाता है।
- Website– वह स्थान जहां web page संग्रहित रखे जाते हैं।
- Home Page
- प्रत्येक web site का प्रथम पृष्ठ, जो उसके अंदर स्थित सूचनाओं की सूची प्रदान करता है।
- किसी वेब साइट को खोलने पर सबसे पहले home। page ही दिखाई पड़ता है।
वर्ल्ड वाइड वेब पर प्रयुक्त भाषाएं
HTML(Hyper Text Markup Lan guage)
-
- क्या– यह WWW पर, web pages को तैयार करने हेतु प्रयुक्त साफ्टवेयर language है, जिसमें hypertext तथा hyperlink का प्रयोग किया जाता है।
- विशेषता
- HTML में विभिन्न वेब पेजों को हाइपर लिंक द्वारा जोड़कर रखा जाता है, जिससे उपयोगकर्ता एक वेब पेज से दूसरे वेब पेज या वेबसाइट तक जा सकता है।
- HTML द्वारा बनाए गए डाक्यूमेंट को वेब पेज पर प्रकाशित कर सकते हैं तथा ब्राउसर द्वारा दर्शाया (display) जा सकता है।
- Hyper text
- क्या– किसी वेब पेज पर प्रदर्शित वह text है जो उसी या किसी अन्य वेब पेज पर उपलब्ध टेक्स्ट, ग्राफिक्स, चित्र, चलचित्र या किसी अन्य डिवाइस से जुड़ा (link) रहता है।
- संकेत– इसे स्क्रीन पर गहरे नीले रंग (blue colour) में या रेखांकित (underline) कर दिखाया जाता है।
- प्रयोग– हाइपर टेक्स्ट को माउस द्वारा activate करने पर उपयोगकर्ता तुरंत सूचना तक पहुंच जाता है।
-
- Hyper link यह हाइपर टेक्स्ट द्वारा प्रदर्शित text या icon को आपस में जोड़ने की व्यवस्था है।
XML(Extensible Markup Language)
-
- क्या– यह WWW पर वेब पेज तैयार करने के लिए प्रयुक्त एक लैंग्वेज है।
- विशेषता
- इसमें, डाटा स्टोर करने तथा उसे एक कम्प्यूटर से दूसरे कम्प्यूटर तक स्थानान्तरित करने को प्रमुखता दी जाती है।
- HTML में वेब पेज की डिजाइन पर, वहीं XML में डाटा स्टोर करने तथा डाटा स्थानान्तरण पर जोर होता है।
XHTML(Extensible HTML)
-
- क्या– इस लैंग्वेज में HTML तथा XML दोनों भाषाओं की विशेषता समाहित होती है।
Java Script
-
- क्या– यह Sun Microsystems कम्पनी द्वारा विकसित साफ्टवेयर लैंग्वेज है।
- प्रयोग– वेब पेज बनाने में किया जाता है।
- विशेषता– यह एक Scripting Language है, जिसमें निर्देशों को लिखने की आवश्यकता कम पड़ती है।
PHP(Hypertext Pre Processor)
-
- क्या– एक साफ्टवेयर लैंग्वेज है, जिसका प्रयोग Dynamic Web Pages के विकास में किया जाता है।
- अन्य नाम– Personal Home Page।
- विकास– Rasmus Lerdorf ने 1994 में,
- महत्वपूर्ण तथ्य
- PHP एक मुफ्त साफ्टवेयर है।
- इसका प्रयोग HTML भाषा के साथ मिलाकर भी किया जा सकता है|
- Facebook तथा Yahoo की वेबसाइट PHP भाषा में ही तैयार की गई है।
IP Address
क्या– इंटरनेट से जुड़े प्रत्येक कंप्यूटर को उसकी पहचान के लिए दिया गया, एक विशेष अंकीय पता है।
विशेषता
- यह अंकीय पता इंटरनेट से जुड़ने पर, Internet Service Provider द्वारा दिया जाता है।
- इंटरनेट से जुड़े किसी दो कम्प्यूटर का IP Address एक समान नहीं हो सकता।
- इसमें कंप्यूटर द्वारा प्रयुक्त प्रोटोकॉल का नाम तथा नेटवर्क पर उसकी स्थिति (location) शामिल रहता है।
प्रकार
- Static IP Address– स्थायी IP Address है।
- Dynamic IP Address– कंप्यूटर के इंटरनेट से बार-बार जुड़ने पर, प्रत्येक बार दिया गया, नया IP Address है।
Internet Protocol Version(IPv)
IPv-4
-
- क्या– इसका IP address के लिए अभी तक उपयोग जारी है।
- संरचना– इसमें एड्रेस के लिए 32 बिट नंबर का प्रयोग किया जाता है।
- IPv4 में 0 से 255 तक के अंकों का चार समूह (set) होता है, जिसे तीन डॉट (।) द्वारा अलग किया जाता है। जैसे-173।225।0।14 या
IPv-6
-
- आवश्यकता– इंटरनेट उपयोगकर्ताओं के बढ़ती संख्या के कारण 32 बिट एड्रेस कम पड़ने लगा। इसी कारण, इसका विकास किया गया
- क्या– इसमें एड्रेस के लिए 128 बिट नंबर का प्रयोग होता है।
- इस व्यवस्था में कुल 2128 IP Address दिए जा सकते हैं।
- संरचना– इसमें चार हेक्साडेसीमल अंकों के आठ समूह होते हैं।
- इन्हें colons[:] द्वारा अलग किया जाता है। जैसे- 2001:1276 : oa8c: 12340000 : 0001 : 0576 : 008b
Domain Name System
क्या– यह संख्याओं से बने IP Address को शब्दों से बने डोमेन नेम में बदल देता है जो याद रखने और उपयोग करने में आसान होता है। डोमेन नेम सिस्टम में सभी Domain Name तथा उससे संबंधित IP Address का संग्रह होता है।
क्रियाविधि
- हम वेब ब्राउज़र पर किसी वेबसाइट का domain name टाइप करते हैं तो DNS उसे अंकीय पता (IP Address) में बदल देता है, ताकि सर्वर उस कंप्यूटर की पहचान कर उससे संपर्क स्थापित कर सके।
- Domain Name, case sensitive नहीं होता, अर्थात् उन्हें Capital letters या small letters किसी में भी टाइप करने पर, समान परिणाम प्राप्त होता है।
Domain Name
- क्या– नेटवर्क में, किसी वेबसाइट का एक विशेष (Unique) नाम या पता (address) होता है।
- विशेषता
- किसी भी दो वेबसाइट का डोमेन नेम एक समान नहीं हो सकता।
- DNS server, डोमेन नेम को IP Address में बदलकर उस वेब साइट की पहचान करता है।
- संरचना
- डोमेन नेम में उस वेबसाइट का नाम तथा एक्सटेंशन नाम शामिल होता है।
- प्रत्येक वेबसाइट का अपना अलग-अलग नाम होता है, जबकि एक्सटेंशन नाम कुछ पूर्व निर्धारित विकल्पों में से कोई एक हो सकता है।
- नाम तथा एक्सटेंशन डॉट (।) द्वारा अलग होते है।
- www, डोमेन नेम का अंग होता है।
- उदाहरण
- Google।com
- Yahoo।co।in
Top Level Domain–
- क्या– डोमेन नेम का अंतिम भाग, जिसे dot (।) के बाद लिखा जाता है।
- महत्व– किसी संगठन (organization) या देश (country) को इंगित करता है। इसे domain indicator भी कहते हैं।
- TLD एक्सटेंशन उदाहरण:—
- Edu-educational
- Com-commercial
- Org-organization
- Gov-government
- Mil-military
- net-networking (नेटवर्क)
- Int – international
- Co-company
- Info – information
URL(Uniform Re-source Locator)
क्या– www पर किसी वेबसाइट या “वेबपेज का विशेषीकृत पता (specific address) है।
महत्व
- यह कंप्यूटर नेटवर्क की व्यवस्था है जो यह बतलाता है कि वांछित सूचना कहा उपलब्ध है। और उसे कैसे प्राप्त किया जा सकता है।
- web browser के address bar पर वेबसाइट का URL टाइप किया जाता है और संबंधित वेबसाइट या वेब पेज तक पहुंचा जाता है।
संरचना– किसी भी URL में शामिल होता है-
- Transfer protocol का नाम
- Colon तथा दो Slash (://)
- Server का नाम पता— इसमें www, वेबसाइट का Domain name तथा Top Level Domain (TLD) शामिल होता है।
- वेब पेज तक पहुंचने का रास्ता— Directory path
- File का नाम
URL के उदाहरण हैं
- http:// www।google।com/ html/index।html
- ftp :// info।apple।com/ design।html
URI(Uniform Re-source Identifier)
- क्या– यह WWW पर स्थित किसी फाइल या सूचना का नाम और उसकी स्थिति (name and loca tion) बताता है।
- अंतर– URI में सूचना या फाइल का नाम या स्थिति या दोनों होता है, जबकि URL सूचना की स्थिति (location) तथा उसे प्राप्त करने का मार्ग बतलाता है।
Web Browser
क्या– यह एक अप्लिकेशन प्रोग्राम है, जो WWW पर स्थित हाइपर टेक्स्ट डाक्यूमेंट्स को उपयोगकर्ता के लिए उपलब्ध कराता है।
महत्व
- यह साफ्टवेयर हाइपरटेक्स्ट ट्रांसफर प्रोटोकाल (http) पर कार्य करता है।
- इसका प्रयोग कर, WWW पर वेब पेज को देखना, Browsing या Surfing कहलाता है।
- सर्फिंग के दौरान URL, हाइपर लिंक या ब्राउसर पर बने नेविगेशन टूल (Navigation tools) की सहायता से एक वेब पेज से दूसरे वेब पेज तक पहुंचा जा सकता है।
क्रियाविधि
- किसी वेब ब्राउसर में, जब वेब साइट का URL टाइप करते हैं, तो वेब ब्राउसर उस URL को डोमेन नेम सिस्टम की मदद से IP address में बदल देता है।
- यह इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर (ISP) के जरिये उस वेबसाइट से हमें जोड़ देता है।
पहला वेब ब्राउसर– Mosaic (विकास: टिम बर्नर्स ली द्वारा 1991 में)।
प्रमुख वेब ब्राउसर
Internet Explorer :
-
- विकास– Microsoft Corporation द्वारा।
- प्रयोग– विंडोज ऑपरेटिंग सिस्टम में।
- यह विश्व का सबसे अधिक प्रयोग में लाया जाने वाला वेब ब्राउसर है।
Mozilla Fire Fox:
-
- विकास– मोजिला कॅार्पोरेशन द्वारा।
- प्रयोग– Windows, Linux तथा Macintosh आदि ऑपरेटिंग सिस्टम में।
- यह एक निःशुल्क वेब ब्राउसर है।
Opera
-
- विकास– ओपेरा साफ्टवेयर कार्पोरेशन द्वारा।
- प्रयोग– मोबाइल फोन तथा पीडीए (Personal Digital Assistant) में।
Apple’s Safari
-
- विकास– एप्पल कार्पोरेशन द्वारा।
- कब– 2007 में।
- प्रयोग– Mocintosh ऑपरेटिंग सिस्टम में, आईफोन तथा आइपैड (ipad) में।
Google Chrome
-
- विकास– गूगल कंपनी द्वारा।
- कब– 2008 में।
- विशेष– बेहतरSecurity Features व high speed के लिए लोकप्रिय।
Graphical Web Browser
- क्या– यह Graphical User Interface (GUI) का उपयोग करते हुए, इंटरनेट पर वेब पेज को एक्सेस करने की सुविधा प्रदान करता है।
- विशेषता– इसमें उपयोगकर्ता तथा WWW के बीच अंतर्संबंध (Interface) चित्र (Graphs) या आइकन (icon) या नीले रंग के टेक्स्ट द्वारा स्थापित किया जाता है।
- Mosaic– पहला लोकप्रिय ग्राफिकल वेब ब्राउसर।
Web Index
- क्या– WWW पर उपलब्ध वेबसाइट्स की सूची या डायरेक्टर है।
- इसमें वेबसाइट की सूची, Alphabetic Order या Hierarchical Order में हो सकती है।
- उदाहरण– Yahoo!
Search Engine
क्या– यह वेब पर स्थित सभी वेबपेज की सूची(index) बना कर रखता है। यह वेब पेज के टाइटल (title), उसके मुख्य शब्द (key words) या वेबपेज पर स्थित किसी शब्द या शब्द समूह (text or phrase) के आधार पर वेब पेज की खोज करता है।
Key Word के साथ Term Operator का प्रयोग, सर्च को अधिक प्रभावी बना सकता है। इसे सर्च को रिफाइन (Refine) करना कहा जाता है।
वेब ब्राउसर में हम text या phrase डालते हैं, तो सर्च इंजिन इससे संबंधित वेब पेज की सूची प्रदर्शित करता है।
प्रमुख सर्च इंजिन
- Yahoo!
- Ask.com
- Alta Vista
- Orkut।
Surfing
- क्या– WWW पर अपने पसंद की सूचना की खोज में, एक वेब पेज से दूसरे वेब पेज पर जाना।
- वेब पेज पर उपलब्ध हाइपरलिंक की व्यवस्था, इस कार्य को आसान बनाती है।
- वस्तुतः बिना किसी सही दिशा और उद्देश्य के एक वेब से दूसरे वेब पेज तक जाना ही सर्फिंग कहलाता है।
Wild Card
- क्या– वह विशेष चिह्न(Special Symbol) है जिसका प्रयोग किसी सूचना या वेब पेज को खोजने के दौरान Keyword के साथ किया जाता है।
- उदाहरण– प्रश्न चिह्न (?) तथा स्टार (*), हैश (#)।
- महत्व– Keyword के साथ WC का प्रयोग करने पर, सर्च इंजिन उससे संबंधित सभी विकल्पों वाले वेब पेज की सूची प्रदर्शित करता है।
Hits– WWW पर, किसी सूचना को प्राप्त करने के लिए, वेब सर्च इंजन पर keywords टाइप किया जाता है। तब सर्च इंजिन इसके परिणामों की एक सूची प्रदर्शित करता है, जिसे हिट्स कहा जाता है।
Push Message
- क्या– इंटरनेट के जरिए कोई वेब पेज या फाइल प्राप्त करने के लिए, सर्वर को इसका अनुरोध (request) भेजना।
- इसके बाद, वेब पेज या फाइल को सर्वर से कम्प्यूटर तक Pull या खींचा जाता है। इसे डाउनलोड (Down Load) भी कहते हैं।
- दूसरी तरफ, पुश मैसेज को सर्वर द्वारा कम्प्यूटर या मोबाइल फोन पर बिना किसी अनुरोध के Push या धकेला जाता है।
- इस तकनीक का उपयोग, सर्वर द्वारा उपभोक्ता को सूचना, अपडेट (update) या SMS भेजने के लिए किया जाता है।
Ping
- क्या– इंटरनेट पर कम्प्यूटर तथा अन्य उपकरणों की जांच (test) है, यह बताता है कि वह कम्प्यूटर या उपकरण सही काम कर रहा है या नहीं।
- या– इंटनेट पर किसी सर्वर के प्रतिक्रिया देने में लगे समय (response time) की जांच भी, पिंग कहलाता है।
- प्रक्रिया–
- पिंग द्वारा किसी विशेष IP Address वाले कम्प्यूटर या उपकरण की उपलब्धता की जांच की जाती है।
- इसके लिए, उस IP Address पर कोई सूचना पैकेट भेजा जाता है तथा प्राप्त जवाब की जांच की जाती है।
Meta Search Engine
- क्या– यह एक सर्च टूल है, जो इंटरनेट पर किसी सूचना को खोज वेब पेज की सूची दर्शाने हेतु, अन्य सर्च इंजन से प्राप्त परिणामों का उपयोग करता है।
- प्रक्रिया– यह, यूजर से इनपुट लेकर उसे अन्य सर्च इंजन को भेजता है और उनसे प्राप्त परिणामों को प्रोसेस कर, सर्च रिजल्ट के रूप में प्रस्तुत करता है।
इंटरनेट शब्दावलियाँ (Terms)
Client Computer – इंटरनेट से जुड़ा कंप्यूटर, जो सर्वर कंप्यूटर के माध्यम से इंटरनेट की सुविधाओं का उपयोग करता है। Client कम्प्यूटर सूचना प्राप्त करने के लिए, सर्वर कम्प्यूटर को अनुरोध भेजता है।
Server Computer
- क्या– उच्च भंडारण क्षमता तथा तीव्र गति वाला कंप्यूटर, जिस पर एक या अधिक वेब साइट की सूचनाएं/वेब पेज संग्रहित रहते हैं।
- विशेषता
- सर्वर कंप्यूटर अपने नेटवर्क से जुड़े, Client कंप्यूटरों को अनुरोध पर सूचना/वेब पेज उपलब्ध कराता है।
- यह एक साथ कई उपयोगकर्ताओं को डाटा उपलब्ध करा सकता है।
- सर्वर कम्प्यूटर नेटवर्क का सबसे शक्तिशाली व महत्वपूर्ण कम्प्यूटर होता है।
- इस तरह सूचना प्राप्त करने को, Client-Server Model कहा जाता है।
- प्रकार
- सर्वर कई प्रकार के हो सकते हैं।
- जैसे– Web Server, Lan Server, e-mail server आदि।
Web Page
- क्या– एक इलेक्ट्रानिक पेज हैं, जिसे HTML का प्रयोग कर बनाया जाता है। वेब साइट पर दिखने वाला प्रत्येक पेज वेब पेज ही होता है।
- स्वरूप– वेब पेज में टेक्स्ट, चित्र, रेखाचित्र, आडियो, वीडियो या हाइपरलिंक कुछ भी हो सकता है।
- Static/Dynamic Web Page
- स्टैटिक वेब पेज के कम्प्यूटर स्क्रीन पर प्रदर्शित होने के बाद उसमें कोई परिवर्तन तब तक नहीं किया जा सकता जब तक उसे Refresh या Update नहीं कर दिया जाए।
- डायनमिक वेब पेज के स्वरूप और तथ्यों (Content) में लगातार परिवर्तन होता रहता है।
- उपयोगकर्ता द्वारा दिए गए इनपुट या डाटाबेस के आधार पर कम्प्यूटर स्वतः वेब पेज में परिवर्तन कर लेता है।
- डायनमिक वेब पेज Java Script या Dynamic HTML लैग्वेज साफ्टवेयर का प्रयोग कर तैयार किया जाता है।
Web Site
- क्या– एक ही डोमेन नेम के अंतर्गत पाये जाने वाले, वेब पेज का संकलन है।
- विशेषता
- किसी वेब साइट में एक या अधिक वेब पेज हो सकते हैं।
- ये पेज आपस में हाइपर लिंक द्वारा जुड़े होते हैं।
Home Page
- क्या– किसी वेब साइट का पहला या मुख्य पृष्ठ है।
- विशेषता
- किसी वेब साइट को खोलने पर, सबसे पहले उसका होम पेज ही कंप्यूटर पर प्रदर्शित होता है।
- होम पेज पर वेब साइट पर उपलब्ध विषयों की सूची (index) हो सकती है।
Host– इंटरनेट सेवा व अन्य सुविधाएं प्रदान करने के लिए, नेटवर्क से जुड़ा प्रत्येक कंप्यूटर ।
ISP(Internet Service Provider)
- क्या– यह इंटरनेट सेवा प्रदान करने वाली एक संस्था है।
- विशेषता
- इसमें एक या अधिक गेटवे (Gateway) कंप्यूटर रहते हैं।
- जो इससे जुड़े अन्य कंप्यूटरों को, इंटरनेट से जुड़ने की सेवा प्रदान करता है।
Anonymous Server – वह सर्वर जिससे जुड़ने के लिए, पासवर्ड (Password) या किसी अन्य पहचान (authentication) की जरूरत नहीं होती है।
Thumbnail– किसी चित्र या मैप को प्रदर्शित करने वाला, नाखून (nail) के आकार का छोटा रूप है। इसे क्लिक करके, चित्र का बड़ा आकार देखा जा सकता है।
Cross platform– ऐसा साफ्टवेयर, जो किसी भी कंप्यूटर हार्डवेयर या किसी भी operating system के साथ काम कर सकता है।
Node– किसी भी नेटवर्क से जुड़ा प्रत्येक कंप्यूटर, सर्वर या कोई अन्य उपकरण है। यह कंप्यूटर नेटवर्क का अंतिम बिंदू या टर्मिनल होता है।
Frame– वेब ब्राउसर विंडो के भीतर स्थित आयताकार स्थान, जो कई वेब पेज को एक साथ प्रदर्शित करता है।
Virtual Reality– इंटरनेट पर उपलब्ध वेब पेज को वास्तविकता के नजदीक लाने तथा जीवंत बनाने के लिए, उनमें डाला गया त्रि-आयामी प्रभाव (three dimentional effect) है।
VRML(Virtual Reality Modelling Language)
- क्या– इस भाषा का प्रयोग कर, वेब पेज में वर्चुअल रियलिटी का आभास डाला जाता है।
- विशेष– VRML को HTML (Hyper Text Markup Language) का three dimentional (3D) रूप कहा जाता है।
Pop up – WWW पर सर्फिंग करते समय या वेब पेज पढ़ते समय, स्वयं खुलने वाला छोटा विंडो है। यह सामान्यतः अवांछित विंडो होता है, जिसका प्रयोग ऑनलाइन व्यवसायिक विज्ञापनों के लिए किया जाता है।
Log in– इंटरनेट पर किसी अन्य कंप्यूटर या सर्वर से जुड़ने की प्रक्रिया, ताकि उस कंप्यूटर या सर्वर की सुविधाओं तथा सूचनाओं का उपयोग किया जा सके।
Log off– इंटरनेट पर किसी कंप्यूटर या सर्वर से जुड़कर, अपना कार्य समाप्त कर, उस प्रोग्राम से बाहर निकलने की प्रक्रिया ।
Download– किसी नेटवर्क में, किसी दूसरे कंप्यूटर या सर्वर से डाटा या सूचना को Local कम्प्यूटर पर प्राप्त करना। डाउनलोड किए गए फाइल (डाटा या सूचना) को, स्थानीय कंप्यूटर पर संग्रहित तथा प्रोसेस किया जा सकता है।
डाउनलोड के लिए ‘Get’ आदेश दिया जाता है।
Upload– किसी नेटवर्क में डाटा या सूचना को स्थानीय कंप्यूटर से किसी दूसरे कंप्यूटर या सर्वर आदि को भेजने की प्रक्रिया है। अपलोड किए गए डाटा को, दूसरे कंप्यूटर पर स्थायी तौर पर संग्रहित व प्रोसेस किया जा सकता है।
अपलोड के लिए ‘Put’ आदेश दिया जाता है।
Online– जब कोई कंप्यूटर या उपकरण चालू हालत में रहते हुए, उपयोग के लिए तैयार (ready for use) रहता है, तो उसे ऑनलाइन कहा जाता है। इंटरनेट के बाद, इंटरनेट या किसी अन्य नेटवर्क से जुड़े हुए कंप्यूटर या उपकरण को ऑनलाइन कहा जाता है।
Ofline– जब कोई कंप्यूटर या उपकरण पॉवर सप्लाई बंद कर देने के कारण, चालू हालत में न हो तो उसे ऑफलाइन कहते हैं। जब कोई कंप्यूटर या उपकरण इंटरनेट या किसी अन्य नेटवर्क से जुड़ा हुआ न हो, तो उसे ऑफलाइन कहा जाता है।
Cloud computing
- क्या– किसी कंप्यूटर द्वारा इंटरनेट से जुड़कर इंटरनेट पर उपलब्ध सुविधाओं का उपयोग करना है।
- घटक–
- इसमें वर्ल्ड वाइड वेब,
- सोशल नेटवर्किंग साइट जैसे—फेसबुक, ट्विटर, यू-ट्यूब आदि;
- वेब ब्राउसर, ई-मेल, ऑनलाइन बैकअप आदि शामिल होते हैं।
Real time communication
- क्या– दो या अधिक उपयोगकर्ताओं के बीच सीधा संवाद स्थापित कर, तत्काल सूचनाओं का आदान-प्रदान करना है।
- उपनाम– ‘जीवंत संवाद’ (Live communication)।
- जैसे—टेलीफोन, मोबाइल फोन, टेलीकान्फरेंसिंग, वीडियो कान्फरेंसिंग, वायस ओवर इंटरनेट प्रोटोकाल (Voice over Internet Protocol) आदि द्वारा स्थापित संवाद।
MPEG(Moving Picture Experts Group)
- क्या– यह वीडियो डाटा या फाइल को डिजिटल रूप में संपीडित (compress) कर, नेटवर्क पर भेजने या संग्रहित करने की तकनीक है।
- प्रयोग– इसके द्वारा, चलचित्रों तथा सिनेमा आदि को नेटवर्क पर भेजा तथा देखा जा सकता है।
JPEG(Joint Photographic Expert Group)– यह चित्र (picture) तथा रेखाचित्रों (graphics) आदि को डिजिटल डाटा में परिवर्तित कर नेटवर्क पर भेजने, संग्रहित करने तथा देखने की एक लोकप्रिय तकनीक है।
PDF(Portable Document Format)
- क्या– यह द्विविमीय डाक्यूमेंट (2 dimentional document) को संग्रहित करने (store) तथा स्थानान्तरण (transfer) के लिए गठित एक प्रचलित मानक है।
- स्वरूप– इसमें टेक्स्ट, चित्र, रेखाचित्र आदि शामिल होते हैं।
- विकास– इसे Adobe System द्वारा 1993 में जारी किया गया था।
इंटरनेट के उपयोग
Electronic mail
- क्या – यह इंटरनेट पर कम खर्च में तीव्र गति से message भेजने या प्राप्त करने का एक लोकप्रिय साधन है।
- विकास– Ray Tomlinson(1971)
- तुलना– परंपरागत डाक व्यवस्था से।
- विशेषता
- यह Client-Server Model पर काम करता है।
- ई-मेल संदेश एक साथ एक या अधिक व्यक्तियों को भेजा जा सकता है।
- संदेश के साथ टेक्स्ट, फोटो, ऑडियो या वीडियो फाइल संलग्न कर भेजा जा सकता है, जिसे Attachments कहते हैं।
- e-mail द्वारा संदेश भेजने के लिए SMTP (Simple Mail Transfer Protocol) का प्रयोग होता है।
- संदेश प्राप्त करने के लिए POP (Post Office Protocol) का प्रयोग होता है।
- प्रक्रिया
- प्रत्येक उपभोक्ता का एक e-mail Address होता है, जिसे ई-मेल सर्विस प्रोवाइडर के पास e-mail account खोलकर प्राप्त किया जाता है।
- उपयोगकर्ता ई-मेल एड्रेस तथा पासवर्ड का प्रयोग कर ई-मेल सर्वर से जुड़ता है, जिसे log-in कहते हैं।
- इसके बाद ई-मेल एड्रेस पर, message भेज सकते हैं।
- ई-मेल खाताधारी को एक निश्चित मेमोरी मिलती है, जिसे Mailbox कहा जाता है।
- प्राप्तकर्ता संदेश को सर्वर से download किए बिना मेल बाक्स खोलकर पढ़ सकता है।
- ई-मेल एड्रेस (e-mail address)
- यूजर नेम (User name)
- यह उपयोगकर्ता द्वारा दिया जाता है।
- सर्वर पर एक यूजर नेम का प्रयोग एक ही बार किया जाता है।
- @ :- इसे at symbol कहा जाता है।
- Domain name
- यह उस सर्वर का नाम होता है जो ई-मेल खाता प्रदान करता है।
- जैसे:- Vinaykumar ojha @ yahoo।co।in
- भारत में निःशुल्क ई-मेल एकाउंट प्रदान करने वाले प्रमुख वेबसाइट हैं:-
- www।yahoomail।com
- www।hotmail।com
- www।rediffmail।com
- www।gmail।com
- ई-मेल स्पॉम (e-mail Spam)
- इसे Junk e-mail या Unsolicited Bulk e-mail भी कहते है।
- इसमें अवांछित। ई-मेल अनेक व्यक्तियों को उनके ई-मेल एड्रेस पर भेजा जाता है।
- स्पैम भेजने वाला विभिन्न स्रोतों से ई-मेल एड्रेस प्राप्त करता है।
यूज नेट (Use net)
- क्या है
- यह User network का संक्षिप्ताक्षर है।
- इसमें अनेक वेब साइटों को आपस में जोड़ उसका प्रयोग electronic discussion forum की तरह किया जाता है।
- विशेषता – इसमें उपयोगकर्ता किसी विषय पर विचार व्यक्त करते हैं तथा दूसरों द्वारा व्यक्त विचारों को पढ़ अपनी प्रतिक्रिया देते हैं।
- उदाहरण :- न्यूज ग्रुप (News Group) ।
थ्रेड (Threads)
- क्या है :- इंटरनेट पर discussion forum में किसी विषय पर किसी उपयोगकर्ता द्वारा अलग से चर्चा आरंभ करना ।
- thread का निर्माण :- विशेष विषय पर किए गए Post तथा उनके reply से मिलकर नए thread का निर्माण होता है।
चैटिंग (Chatting)
- क्या है :- इंटरनेट सेवा से जुड़े कंप्यूटर द्वारा दो या अधिक व्यक्तियों का आपस में की-बोर्ड के माध्यम से बातचीत करना ।
- चैटिंग सुविधा प्रदाता :- Rediff, Yahoo, Google आदि
टेलीनेट (Telenet)
- अर्थ— टेलीफोन नेटवर्क।
- उपनाम :- या रिमोट लॉग इन (Remote Login)
- क्या है :- यह एक टेक्स्ट आधारित संचार प्रोटोकाल है।
- विशेषता
- स्थानीय कंप्यूटर द्वारा दूरस्थ कंप्यूटर पर डाटा तथा संसाधनों का उपयोग करने की सुविधा टेलीनेट है।
- इस सेवा के उपयोग के लिए दूरस्थ कम्प्यूटर का Login name तथा Password होना आवश्यक है।
इंसटैंट मैसेजिंग (Instant Messaging)
- क्या है
- इंटरनेट पर text मैसेज भेज तुरंत जीवंत संवाद (live conversation) स्थापित करना ।
- यह online chat का एक रूप है।
- विशेषता
- इसमें मैसेज पाने वाला तुरंत उसका जवाब भी दे सकता है।
- इसमें हम टेक्स्ट के साथ चित्र, ऑडियो तथा वीडियो फाइल भी भेज सकते हैं।
- प्रमुख इंसटैंट मैसेजिंग प्रदाता
- Windows Live Messenger
- Yahoo! Messenger
- Google Talk
वीडियो कांफरेंस (Video Conference)
- क्या है :- इसमें कंप्यूटर तथा इंटरनेट की सहायता से दो अलग अलग स्थानों पर स्थित व्यक्ति आपस में जीवंत (live) दृश्य व श्रव्य (video and audio) संवाद स्थापित कर सकते हैं ।
- प्रयुक्त उपकरण :- कंप्यूटर, वेब कैमरा, माइक, स्पीकर तथा इंटरनेट आदि ।
- विशेष :- यह कम्प्यूटर पर मल्टी मीडिया के उपयोग का एक उदाहरण है।
इंटरनेट टेलीफोनी (Internet Telephony)
- क्या है :- कंप्यूटर तथा इंटरनेट सेवा के जरिए टेलीफोन पर उपलब्ध सेवाओं का प्रयोग करना ।
- विशेष :- इसके द्वारा आवाज (voice) या फैक्स आदि को टेलीफोन नेटवर्क की जगह इंटरनेट के जरिए एक से दूसरे स्थान भेजा जाता है।
- प्रयुक्त प्रोटोकॉल :- VolP (Voice over Internet Proto col) है।
ई-कामर्स (e-commerce)
- क्या है :- कंप्यूटर तथा इंटरनेट सेवाओं का उपयोग कर व्यवसाय को संचालित करना ।
- इसके तहत…,
- इंटरनेट के माध्यम से ग्राहकों तथा व्यापारियों से संपर्क करना,
- उत्पादों का विज्ञापन करना, तथा
- वस्तुओं और सेवाओं का क्रय-विक्रय करना आदि शामिल है।
- उदाहरण :- ऑनलाइन शॉपिंग (online shopping)।
- प्रकार
- B2B ( Business to Business) – दो कंपनियों के बीच किया गया इलेक्ट्रॉनिक व्यापार।
- B2C (Business to Consumer) – कंपनी तथा उपभोक्ता के बीच का इलेक्ट्रॉनिक व्यापार।
- C2C (Consumer to Consumer) – दो उपभोक्ताओं द्वारा आपस में किया गया लेन-देन ।
ई-पब्लिशिंग (e-Publishing)
- क्या है :- किसी पुस्तक या लेख को वर्ल्ड वाइड वेब पर स्टोर करना ।
- विशेषता :- इसमें पुस्तक को डिजिटल रूप में प्रकाशित किया जाता है, जो इंटरनेट पर निःशुल्क या थोड़ा शुल्क चुकाकर उपलब्ध होती है ।
ब्लॉग (Blog)
- क्या है
- यह Web Log का संक्षिप्ताक्षर है।
- यह वर्ल्ड वाइड वेब पर उपलब्ध सोशल नेटवर्किंग साइट का उदाहरण है।
- महत्व :- इस पर संचालनकर्ता (user) अपने विचार, घटनाओं का विवरण, चित्र (photo) या चलचित्र (video) आदि डाल सकता है।
सोशल नेटवर्किंग साइट
- सोशल नेटवर्क (Social Network) शब्द :- प्रोफेसर जे।ए। बार्नेस (J. Barnes) ने 1950 में दिया।
- महत्व
- इसके माध्यम से दुनिया भर में कहीं भी स्थित लोगों से संपर्क स्थापित कर सकते हैं।
- उनके विचार जान सकते हैं तथा उन्हें अपने विचारों तथा कार्यकलापों से अवगत करा सकते हैं।
- कुछ प्रचलित सोशल नेटवर्किंग साइट हैं:-
- -Facebook :- 2004 में, मार्क जुकरबर्ग
- – Twitter :- 2006 में जेक डोर्सी(माइक्रोब्लोगिंग साईट)
- -Youtube :- 2005 में, चाड हार्ली + स्टीव चेन + जावेद करीम
- -Yahoo!
फ्लैश (Flash)
- विकास :- यह Macromedia कंपनी द्वारा ।
- प्रयोग
- वेब पेज पर animation, sound तथा interactivity प्रदर्शित करने के लिए ।
- video games इसी साफ्टवेयर के प्रयोग से बनाए जाते हैं।
नेटीकेट (Netiquette)
- क्या है :- इंटरनेट पर सूचनाओं के आदान-प्रदान के दौरान किए जाने वाले शिष्ट व्यवहार (netiquette) है।
- विशेष :- यह व्यवहार बाध्यकारी नहीं है, पर एक सभ्य उपयोगकर्ता से इसकी अपेक्षा की जाती है।
फ्लेम
- क्या है :- इंटरनेट उपयोगकर्ताओं द्वारा ई-मेल, चैटिंग या वीडियो कान्फ्रेंसिंग के दौरान अवांछनीय व अपमानजनक भाषा का प्रयोग ।