भारत में दूरसंचार का इतिहास
प्रारम्भ – भारत में दूरसंचार का प्रारंभ कुतुबुद्दीन ऐबक द्वारा 1207 ई में मैसेंजर पोस्ट सिस्टम से हुआ|
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भारतीय डाक विभाग
- स्थापना – 1 अक्टूबर 1854 को,
- लॉर्ड डलहौजी द्वारा,
- 701 डाकघरों के नेटवर्क को मिलाकर
पहली विधिवत् डाक सेवा
- प्रारम्भ – 1766 में,
- लॉर्ड क्लाइव द्वारा ।
डाक सेवा का विकास क्रम
- 1774 में वॉरेन हैस्टिंग्स द्वारा कलकत्ता में प्रधान डाक घर की स्थापना।
- 1854 में रेल डाक सेवा प्रारम्भ।
- 1877 में वीपीपी और पार्सल सेवा प्रारम्भ।
- 1879 में पोस्ट कार्ड प्रारम्भ।
- 1880 में मनीऑर्डर सेवा प्रारम्भ।
- 1911 में प्रथम एयरमेल इलाहाबाद से नैनी प्रारम्भ।
- 1935 में इंडियन पोस्ट ऑर्डर प्रारम्भ। 1972 में पिनकोड प्रारम्भ।
- 1985 में पोस्ट एवं टेलीकॉम विभाग पृथक हुए।
- 1986 में स्पीड पोस्ट सेवा प्रारम्भ।
- 2005 में राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिक फण्ड ट्रांसफर सेवा (NEFT ) प्रारम्भ।
- 2009 में विदेशी मनीऑर्डर सेवा प्रारम्भ।
- 2012 में मोबाइल मनी ट्रांसफर सेवा प्रारम्भ।
- 2013 में प्रथम महिला डाकघर प्रारम्भ।
- 2016 में तार सेवा बंद कर दी गई।
- 2014 में टेलीग्राफ सेवा डाकघर द्वारा बंद की गयी।
- भारतीय डाक विभाग ‘यूनिवर्सल पोस्टल यूनियन’ का 1976 में तथा ‘एशिया पेसिफिक पोस्टल यूनियन’ का 1964 में सदस्य बना।
- भारतीय डाक विभाग ने वर्ष 2001 में ई-पोस्ट प्रारंभ की।
भारत में दूरसंचार का विकास
टेलीग्राफ सेवा प्रारम्भ
- 1851 में,
- कलकत्ता से डायमण्ड हार्बर के बीच।
टेलीफोन सेवा की शुरुआत
- 1881 में,
- कोलकाता में।
पहला स्वचलित टेलीफोन एक्सचेंज
- 1913-14 में,
- शिमला में।
सार्वभौमिक सेवा बाह्यता निधि (USOF)
- स्थापना – 2002 में,
- उद्देश्य – ग्रामीण क्षेत्रों में टेलीफोन सेवाएँ उपलब्ध कराने हेतु।
भारत में दूरसंचार संस्थाएँ
भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण
TRAI– Telecom Regulatory Authority of India
स्थापना – फरवरी, 1997 में ।
मुख्यालय– नई दिल्ली ।
वर्तमान अध्यक्ष – डॉ। पी।डी। वाघेला।(28 सितम्बर, 2020 से)
कार्य
- दूरसंचार विवाद एवं अपीलों को सुनना ।
- केबल एवं दूरसंचार सेवाओं पर नियंत्रण ।
- कनेक्शन उपभोक्ता शुल्क एवं गुणवत्ता के बारे में निगरानी ।
- 9 जनवरी, 2004 को प्रसारण एवं केबल सुविधाएँ दूरसंचार नियामक संस्थान को सौंपी गई।
नामकरण
- दूरसंचार अधिनियम 2000 के द्वारा ।
- भारतीय दूरसंचार संस्थान से भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण।
विदेश संचार निगम लिमिटेड (VSNL)
स्थापना – 1 अप्रैल, 1986 में ।
मुख्य कार्यालय – मुम्बई ।
अन्य कार्यालय – दिल्ली, चैन्नई, कोलकाता, बेंगलौर, जालंधर, जयपुर आदि ।
कार्य – उपग्रह एवं भू-केन्द्रों के अलावा 3 अंतर्समुद्री केबलों को प्रचालन ।
महानगर टेलीफोन निगम लिमिटेड (MTNL )
स्थापना – 1 अप्रैल, 1986 में ।
मुख्यालय – नई दिल्ली ।
कार्य
- टेलीमैट्रिक्स सर्विस प्रदान करना ।
- वीडियो कॉफ्रेंसिंग ।
- रेडियो पेजिंग डाटा संचार ।
यह नेपाल तथा मॉरीशस में सेवा देने वाली पहली दूरसंचार कम्पनी है।
यह न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध है।
भारत संचार निगम लिमिटेड (BSNL)
स्थापना – 1 अक्टूबर, 2001में।
मुख्यालय – नई दिल्ली।
कार्य
- मार्च 2005 में ब्रॉडबैंड सेवा प्रारम्भ की।
- सम्पूर्ण भारत में सेवाएं ।(दिल्ली व मुम्बई को छोड़कर)
- E-ग्रामीण संचार सेवा के अंतर्गत गरीब तबके तक टेलीफोन की पहुंच सुनिश्चित की है।
- वर्तमान में यह आईपी आधारित टीए एक्सिस, वाय मैक्स, वाई-फाई युक्त सेवा प्रदाता है।
भारतीय टेलीफोन उद्योग लिमिटेड(BTIL/ITIL)
स्थापना – 1948 में ।
मुख्यालय – बैंगलुरू।
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प्लांट – नैनी, इलाहाबाद, रायबरेली, मनकापुर, पलक्कड़ (केरल) व श्रीनगर (जम्मू कश्मीर) में है।
टेलीकम्युनिकेशन कंसल्टेंट्स
स्थापना – 1978 में ।
क्या – यह भारत का लघु रत्न दर्जा प्राप्त उपक्रम है ।
कार्यक्षेत्र – एशिया और अफ्रीका के 57 देशों में कार्यरत है ।
भारत में दूरसंचार का नीतिगत ढाँचा
भारतीय टेलीग्राफ अधिनियम
- पारित – 1 अक्टूबर, 1885 को ।
- इसमें कालक्रमानुसार संशोधन होते रहे ।
- टेलीफोन संदेशों की निगरानी से संबंधित नियम 419 एवं 419 (a ) का उल्लेख इसी में है ।
दूरसंचार नीति, 1999
- आर्थिक नीति के LPG पर आधारित। (लिब्रलाइजेशन, प्राइवेटाइजेशन एंड ग्लोबलाइजेशन)
- लम्बी दूरी संचार के लिए बाजार खोलना ।
- अंतर्राष्ट्रीय संचार में VSNL का एकाधिकार समाप्त करना।
- नोकिया(फिनलैंड) को प्लांट लगाने हेतु पेरम्बुदूर में भूमि आवंटन ।
- PCO को बहुमाध्यम क्षमता युक्त बनाना । (जैसे- ISDN सुविधा)
सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000
- ई-कॉमर्स तथा ई-प्रशासन को बेहतर बनाने के उद्देश्य से अधिनियमित किया गया है।
- सरकारी कार्यालयों में इलेक्ट्रॉनिक दस्तावेजों के उपयोग करने वाली एजेंसी को विधिक मान्यता ।
- सभी इलेक्ट्रॉनिक व्यावसायिक और वाणिज्यिक कार्यों को विधिक मान्यता ।
- बैंकों द्वारा इलेक्ट्रॉनिक खार्तों को विधिक मान्यता ।
- इलेक्ट्रॉनिक दस्तावेजों का मानकीकरण ।
- साइबर अपराधों की व्याख्या।
- अश्लील सूचनाओं का इलेक्ट्रॉनिक प्रसारण अविधिमान्य।
- प्रमाणन प्राधिकारी नियंत्रक, कम्प्यूटर नेटवर्क पर किसी भी सूचना की प्राप्ति के लिए हस्तक्षेप कर सकता है।
सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2008
- महिलाओं की अमर्यादित दृश्य प्रस्तुति तथा शाब्दिक अभद्रता अविधिमान्य ।
- किसी व्यक्ति की अनुमति के बिना उसके अंगों का प्रदर्शन निजता का उल्लंघन माना जायेगा ।{धारा 66(E)}
- धर्म, साहित्य, कला, विज्ञान से संबंधित अश्लील सामग्री का प्रकाशन या प्रसारण अवैध ।{धारा 67}
राष्ट्रीय दूरसंचार नीति 2012
मंजूरी – 31 मई, 2012 को।
प्रावधान
- मोबाइल पोर्टेबिलिटी तथा रोमिंग शुल्क समाप्त करना ।
- इंटरनेट की न्यूनतम स्पीड 2Mbps करना ।
- स्पैक्ट्रम आवंटन और सर्किल लायसेंस प्रक्रिया का पृथक्करण ।
- ग्रामीण टेलीकॉम उपभोक्ताओं को 2017 तक 70 प्रतिशत तथा 2020 तक 100 प्रतिशत करना ।
राष्ट्रीय डिजिटल संचार नीति, 2018
जारी – दूरसंचार विभाग द्वारा ।
इतिहास
- फिलहाल, राष्ट्रीय दूरसंचार नीति, 2012 चलन में है ।
- पहले 1994 और 1999 में दूरसंचार नीतियाँ बनाई गई थीं।
उद्देश्य
- 2020 तक, नागरिकों को 50mbps की ब्रॉडबैंड सेवा उपलब्ध कराना ।
- 2020 तक, सभी ग्राम पंचायतों को 1gbps स्पीड वाले ब्रॉडबैंड से जोड़ना ।
- इसको 2022 तक 10gbps स्पीड वाले ब्रॉडबैंड में बदलना ।
- दूरसंचार क्षेत्र में 2022 तक 100 अरब डॉलर का निवेश आकर्षित करना ।
- भारत में सैटेलाइट कम्युनिकेशन टेक्नोलॉजी को मजबूत करना है।
- 50 प्रतिशत घरों तक लैंडलाइन ब्रॉडबैंड की पहुँच सुनिश्चित करना ।
- लैंडलाइन पोर्टेबिलिटी सेवाएँ प्रारंभ करना ।
- निवेश, नवाचार और उपभोक्ता हित को प्रभावित करने वाले बाधाओं को कम करना ।
- GDP में डिजिटल संचार क्षेत्र के योगदान को 8 प्रतिशत तक बढ़ाना ।
अन्य प्रावधान
- भारतनेट, नगरनेट, ग्रामनेट और जन वाई-फाई की चर्चा ।
- नेशनल फाइबर अथॉरिटी का गठन ।
- वर्चुअल नेटवर्क ऑपरेटर्स पर चर्चा की गई है।
- राष्ट्रीय ब्रॉडबैंड अभियान की स्थापना।
राष्ट्रीय ब्रॉडबैंड अभियान
क्या – यह राष्ट्रीय डिजिटल संचार नीति, 2018 का हिस्सा है।
उद्देश्य
- पूरे देश में वर्ष 2022 तक ब्रॉडबैंड सेवा को उपलब्ध कराना ।
- 2024 तक टावर घनत्व प्रति एक हजार की आबादी पर पहुँचाना ।