मध्यप्रदेश के मेले | 001

मध्यप्रदेश के मेले 

ग्वालियर व्यापार मेला

  • ग्वालियर व्यापार मेला मध्य प्रदेश, उत्तरी भारत में एक बड़ा व्यापार मेला है।
  • इसकी शुरुआत 1905 में ग्वालियर के राजा महाराज माधव राव सिंधिया ने की थी।

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सिंहस्थ-कुम्भ

  • उज्जैन मध्य प्रदेश का एकमात्र स्थान है जहाँ कुंभ का मेला लगता है।
  • कुंभ मेले का आयोजन ग्रहों की विशेष स्थिति के अनुसार किया जाता है।

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  • यह ग्रह स्थिति हर बारह साल में आती है।
  • इसलिए उज्जैन में आयोजित होने वाले कुंभ को सिंहस्थ कहा जाता है।

पीर बुधन का मेला

  • यह मेला शिवपुरी के सांवरा क्षेत्र में 250 वर्षों से लग रहा है।

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  • यहाँ मुस्लिम संत पीर बुधन का मकबरा है।
  • यह मेला अगस्त-सितंबर में लगता है।

नागाजी का मेला

  • यह मेला अकबर के संत नागाजी की स्मृति में आयोजित किया जाता है।
  • यह मेला मुरैना जिले के पोरसा गाँव में महीने भर लगता है।
  • पहले यहाँ बंदर बेचे जाते थे। अब सभी पालतू जानवर यहाँ बेचे जाते है।

हीरा भूमिया मेला

  • ग्वालियर और उसके आस-पास के क्षेत्रों में हीरामन बाबा का नाम प्रसिद्ध है।
  • ऐसा कहा जाता है कि हीरामन बाबा के आशीर्वाद से महिलाओं का बांझपन दूर हो जाता है।
  • कई सौ साल पुराना यह मेला अगस्त-सितंबर माह में लगता है।

तेजाजी का मेला

  • गुना जिले के भामावड में यह मेला पिछले 70 सालों से आयोजित किया जा रहा है।
  • यह मेला तेजाजी की जयंती पर आयोजित किया जाता है।

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  • यह मेला खरगोन जिले में भी आयोजित किया जाता है।

महामृत्युंजना का मेला

  • महामृत्युजना का मंदिर रीवा जिले में स्थित है।
  • यहाँ बसंत पंचमी और शिवरात्रि पर मेला लगता है।

जागेश्वरी देवी का मेला

  • अशोक नगर जिले के चंदेरी नामक स्थान पर हजारों वर्षो से यह मेला आयोजित किया जा रहा है।
  • कहा जाता है कि चंदेरी के शासक जागेश्वरी देवी के भक्त थे। वह कुष्ठ रोग से पीड़ित थे।
  • किवंदती के अनुसार, देवी ने राजा से कहा था कि वह 15 दिनों के बाद देवी के स्थान पर आए लेकिन केवल देवी का माथा ही दिखाई दे रहा था। राजा का कुष्ठ रोग ठीक हो गया और उसी दिन से उस स्थान पर मेला लगने लगा।

अमरकंटक का शिवरात्रि मेला

  • यह मेला अनूपपुर जिले के अमरकंटक (नर्मदा का उद्गम स्थल) नामक स्थान पर लगता है।
  • 80 साल से चला आ रहा यह मेला शिवरात्रि के दिन लगता है।

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कान्हा बाबा का मेला

  • यह मेला हरदा जिले के सोडलपुर नामक गाँव में लगता है।
  • कान्हा बाबा की समाधि पर।

कालू जी महाराज का मेला

  • यह मेला पश्चिमी निमाड़ के पिपलिया खुर्द में एक महीने तक लगता है।
  • कहा जाता है कि 200 साल पहले कालू जी महाराज यहाँ अपनी शक्ति से मनुष्यों और जानवरों के रोगों का इलाज करते थे।

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चंडी देवी का मेला

  • सीधी जिले के धीधरा नामक स्थान पर चंडी देवी को सरस्वती का अवतार माना जाता है।
  • यहाँ मार्च-अप्रैल में मेले का आयोजन होता है।

शहाबुद्दीन औलिया का उर्स

  • यह फरवरी के महीने में नीमच में आयोजित किया जाता है।
  • यह केवल चार दिनों तक चलता है।
  • यहाँ बाबा शहाबुद्दीन का मकबरा है।

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धमोनी उर्स

  • यह उसे अप्रैल-मई में लगता है।
  • सागर जिले के धमोनी नामक स्थान पर बाबा मस्तान अली शाह की दरगाह पर होता है।

सिंगाजी का मेला

  • पश्चिम निमाड़ के पिपल्या गाँव में लगता है।
  • अगस्त-सितंबर में एक सप्ताह तक लगता है।

बरमान का मेला

  • नरसिंहपुर जिले के प्रसिद्ध ब्राह्मण घाट पर मकर संक्रांति पर 13 दिवसीय मेला लगता है।

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नंद चंद का मेला

  • पन्ना जिले के बघवार गाँव में लगता है।
  • यह मेला मकर संक्रांति पर लगता है।

अवार माता का मेला

  • छतरपुर में आयोजित होता है।
  • इस मेले में एक महीने तक का समय लगता है।

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  • सागर, छतरपुर, ललितपुर के लाखों ग्रामीण इस मेले में पहुँचते हैं।

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मठ घोघरा का मेला  – शिवरात्रि पर सिवनी में 15 दिन तक लगता है।
चरण पादुका का मेला

  • इसे शहीदों का मेला भी कहा जाता है।
  • छतरपुर में आयोजित होता है।
  • 14 जनवरी 1931 को उर्मिल नदी के तट पर स्वतंत्रता सेनानियों की बैठक पर ब्रिटिश पुलिस ने हमला किया।
  • उसी दिन से हर साल उस जगह पर मेले का आयोजन किया जाता है।

भोपाली का मेला

  • बैतूल जिले में महादेव, पार्वती गुफा और गाय कोठा की गुफाओं में, यह मेला लगता है।

बड़े बाबा का मेला

  • यह मेला दमोह के पास एक जैन तीर्थ स्थान कुंडलपुर में आयोजित किया जाता है।
  • वर्धमान सागर नाम की एक विशाल झील भी इसी स्थान पर स्थित है।

गढ़ाकोटा का रहस मेला

  • सागर जिले में गडेरी और सुनार नदियों के संगम पर स्थित गढ़ाकोटा में हर साल बसंत पंचमी पर 1 महीने तक यह मेला लगता है।
  • ऐसा माना जाता है कि यह मेला 1785 में मर्दन सिंह के गढ़ाकोटा का उत्तराधिकारी बनने की खुशी में शुरू हुआ था।

बनेनी घाट का मेला

  • सागर जिले के राहतगढ़ में बीना नदी के तट पर भगवान शंकर का एक प्राचीन मंदिर है।
  • हर साल शिवरात्रि मेला यहाँ आयोजित किया जाता है।

देवरी का मेला

  • यह मेला सागर जिले के देवरी में लगता है।
  • इस मंदिर का नाम हाथों में खड़ग-पकडे पार्वती की मूर्ति के नाम पर खंडेराव पड़ा।

आलमी तब्लीगी इज्तिमा

  • भोपाल में लगता है।
  • पहला इज्तिमा 1949 में आयोजित किया गया था।

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  • मुसलमानों के ज्ञानोदय के लिए और शांति का संदेश फैलाने के लिए जमात(भक्तों के लिए अरबी शब्द) दुनिया भर से इकट्ठा होते हैं।

अन्य मेले

  • जलबिहारी – छतरपुर
  • रामजी बाबा – होशंगाबाद
  • शहीद – सनावद
  • त्रिवेणी – उज्जैन
  • मान्धाता – खंडवा
  • गरीबनाथ बाबाशाजापुर
  • धर्मराजेश्वर – मंदसौर
  • नवग्रह – खरगोन
  • कालका मंदिर – धार
  • बल्कादिजी – पन्ना
  • धामोनी उर्स – सागर
  • संकुआ – दतिया
  • मान्धाता मेला-खंडवा
  • कार्तिक – उज्जैन

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