मध्यप्रदेश के लोकनाट्य
निमाड़ के लोक नाटक
गम्मत
- यह व्यंग का एक जीवत रूप है।
- गम्मत निमाड़ का स्थानीय लोक नाटक है।
- यह खासकर नवरात्रि में हर गाँव में पूजा के दौरान प्रदर्शित किया जाता है।
- गम्मत में मृदंग और झाँझ प्रमुख वाद्य यंत्र हैं।
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भवाई
- यह झाबुआ और अलीराजपुर जिलों में किया जाता है।
- यह विवाह के अवसर पर किया जाने वाला एक लोक नृत्य है।
बघेलखंड के लोक नाटक
रासलीला
- भादो में कृष्ण जन्माष्टमी के आसपास निमाड़ गाँव में रासलीला का आयोजन किया जाता है।
- रासलीला में कृष्ण लीला के विभिन्न प्रसंग मुख्य रूप से कृष्ण जन्म, माखन चोरी, कंस वध, हरि प्रसंग किए जाते हैं।
रहस
- यह केवल मनोरंजन ही नहीं बल्कि, अध्यात्म की कलात्मक अभिव्यक्ति भी है।
- श्रीमद्भभगवतगीता के आधार पर रेवारम ने रहस की पांडुलिपियाँ बनाई और उसी के आधार पर रहस का प्रदर्शन किया जाता है।
हिंगोला – हिंगोला एक मंचहीन सीधा और सरत नाट्य रूप है।
छाहुर
- छाहुर बघेलखंड में कृषक जातियों का लोकनाट्य है।
- छाहुर मुख्य रूप से मौखिक शैली का लोकनाट्य है।
- इसमें पुरुष ही स्त्री की भूमिका निभाते हैं।
लकड़बग्घा
- आदिवासी युवाओं का लोक नृत्य है ।
- यह शादी के बाद प्रदर्शित किया जाता है।
मनसुखा
- यह रास का बघेली संस्करण है।
- मनसुख उर्फ जोकर महोदय और गोपियों में आपस में नोकझोंक हो जाता है।
जिंदवा (बहलोल)
- शादी के शुभ अवसर पर जब लड़के की बारात लड़की पक्ष के घर जाती है तो यह नृत्य घर की महिलाओं द्वारा किया जाता है।
रामलीला
- बघेलखंड में रामलीला की अनेक पारंपरिक मंडलियां है।
- रामलीला में राम की कथा का उनकी लीला के अनुसार मंचन होता है।
बुंदेलखंड के लोक नाटक
स्वांग
- स्वांग बुंदेलखंड का पारंपरिक लोक नाट्य है।
- इसे राई नृत्य के बीच में हास्य और व्यंग्य के लिए किया जाता है।
बुंदेली नौटंकी
- यह बुंदेलखंड क्षेत्र का सुप्रसिद्ध लोक नाट्य है।
- किंतु इसकी यह प्राचीन शैली धीरे-धीरे विकारग्रस्त होने लगी है।
मालवा का लोक नाटक माच
- माच मालवा का पारंपरिक लोक नृत्य है।
- मध्यप्रदेश सरकार ने माच को राजकीय लोकनाट्य का दर्जा प्रदान किया है।
- मालवा क्षेत्र का लोकनाट्य माच लगभग 300 वर्ष प्राचीन है।
- इसका उद्भव राजस्थान के ख्याल से माना जाता है।
- मध्यप्रदेश के उज्जैन के अतिरिक्त इंदौर, धार, रतलाम, मंदसौर, शाजापुर और देवास जिले इसके मुख्य केंद्र हैं।
- माच शब्द संस्कृत में मंच से बना है।
- माच अधिकतर खुले में आयोजित किया जाता है।
- ढोलक तथा सारंगी माच के महत्वपूर्ण वाद्य यंत्र है।
- बालमुकुंद गुरु जी को माच का प्रवर्तक माना जाता है।
मध्य प्रदेश के अन्य लोक नाटक
ढोला मारू की कथा – मध्य प्रदेश में राजस्थान से जुड़े सीमावर्ती क्षेत्र में यह लोकमत प्रचलित है।
पंडवानी – यह मध्य प्रदेश के शहडोल, अनूपपुर, बालाघाट जिले में भी प्रदर्शित किया जाता है।
खंबस्वांग
- खूब स्वांग का अर्थ है मेघनाथ स्तंभ के चारों ओर किया जाने वाला नृत्य ।
- यह कोरकू आदिवासियों के बीच लोकप्रिय है।
- मेघनाथ की याद में यह कार्यक्रम आयोजित किया गया है।
- इसमें मुख्य वाद्य यंत्र झाँझ और मृदंग है।