मध्यप्रदेश के लोकनाट्य | 001

 मध्यप्रदेश के लोकनाट्य

निमाड़ के लोक नाटक

गम्मत

  • यह व्यंग का एक जीवत रूप है।
  • गम्मत निमाड़ का स्थानीय लोक नाटक है।
  • यह खासकर नवरात्रि में हर गाँव में पूजा के दौरान प्रदर्शित किया जाता है।
  • गम्मत में मृदंग और झाँझ प्रमुख वाद्य यंत्र हैं।

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निमाड़ की गम्मत लोक नाट्य शैली - YouTube

भवाई

  • यह झाबुआ और अलीराजपुर जिलों में किया जाता है।
  • यह विवाह के अवसर पर किया जाने वाला एक लोक नृत्य है।

भवाई - विकिपीडिया

बघेलखंड के लोक नाटक

रासलीला

  • भादो में कृष्ण जन्माष्टमी के आसपास निमाड़ गाँव में रासलीला का आयोजन किया जाता है।
  • रासलीला में कृष्ण लीला के विभिन्न प्रसंग मुख्य रूप से कृष्ण जन्म, माखन चोरी, कंस वध, हरि प्रसंग किए जाते हैं।

Launched the famous Rasleela of Vrindavan - वृंदावन की प्रसिद्ध रासलीला का शुभारंभ किया, शाहजहांपुर न्यूज

रहस

  • यह केवल मनोरंजन ही नहीं बल्कि, अध्यात्म की कलात्मक अभिव्यक्ति भी है।
  • श्रीमद्भभगवतगीता के आधार पर रेवारम ने रहस की पांडुलिपियाँ बनाई और उसी के आधार पर रहस का प्रदर्शन किया जाता है।

छत्तीसगढ़ी सतनामी रहस, The 'Rahas' of the Satnamis in Chhattisgarh | Sahapedia

हिंगोला हिंगोला एक मंचहीन सीधा और सरत नाट्य रूप है।
छाहुर

  • छाहुर बघेलखंड में कृषक जातियों का लोकनाट्य है।
  • छाहुर मुख्य रूप से मौखिक शैली का लोकनाट्य है।
  • इसमें पुरुष ही स्त्री की भूमिका निभाते हैं।

Bagheli Natya - Chhahur बघेली नाट्य 'छाहुर' लेखक - योगेश त्रिपाठी

लकड़बग्घा

  • आदिवासी युवाओं का लोक नृत्य है ।
  • यह शादी के बाद प्रदर्शित किया जाता है।

मनसुखा

  • यह रास का बघेली संस्करण है।
  • मनसुख उर्फ जोकर महोदय और गोपियों में आपस में नोकझोंक हो जाता है।

जिंदवा (बहलोल)

  • शादी के शुभ अवसर पर जब लड़के की बारात लड़की पक्ष के घर जाती है तो यह नृत्य घर की महिलाओं द्वारा किया जाता है।

रामलीला

  • बघेलखंड में रामलीला की अनेक पारंपरिक मंडलियां है।
  • रामलीला में राम की कथा का उनकी लीला के अनुसार मंचन होता है।

रामलीला - भारतकोश, ज्ञान का हिन्दी महासागर

बुंदेलखंड के लोक नाटक

स्वांग

  • स्वांग बुंदेलखंड का पारंपरिक लोक नाट्य है।
  • इसे राई नृत्य के बीच में हास्य और व्यंग्य के लिए किया जाता है।

बुंदेली नौटंकी

  • यह बुंदेलखंड क्षेत्र का सुप्रसिद्ध लोक नाट्य है।
  • किंतु इसकी यह प्राचीन शैली धीरे-धीरे विकारग्रस्त होने लगी है।

भोजपुरी नौटंकी | आखिरी दुल्हन उर्फ़ इंस्पेक्टर की बेटी (भाग-2) | Bhojpuri Nautanki

मालवा का लोक नाटक माच
  • माच मालवा का पारंपरिक लोक नृत्य है।
  • मध्यप्रदेश सरकार ने माच को राजकीय लोकनाट्य का दर्जा प्रदान किया है।

मालवा का प्रतिनिधि लोकनाट्य माच

  • मालवा क्षेत्र का लोकनाट्य माच लगभग 300 वर्ष प्राचीन है।
  • इसका उद्भव राजस्थान के ख्याल से माना जाता है।
  • मध्यप्रदेश के उज्जैन के अतिरिक्त इंदौर, धार, रतलाम, मंदसौर, शाजापुर और देवास जिले इसके मुख्य केंद्र हैं।
  • माच शब्द संस्कृत में मंच से बना है।
  • माच अधिकतर खुले में आयोजित किया जाता है।
  • ढोलक तथा सारंगी माच के महत्वपूर्ण वाद्य यंत्र है।
  • बालमुकुंद गुरु जी को माच का प्रवर्तक माना जाता है।
मध्य प्रदेश के अन्य लोक नाटक

ढोला मारू की कथा – मध्य प्रदेश में राजस्थान से जुड़े सीमावर्ती क्षेत्र में यह लोकमत प्रचलित है।
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पंडवानी –  यह मध्य प्रदेश के शहडोल, अनूपपुर, बालाघाट जिले में भी प्रदर्शित किया जाता है।

पंडवानी - विकिपीडिया
खंबस्वांग

  • खूब स्वांग का अर्थ है मेघनाथ स्तंभ के चारों ओर किया जाने वाला नृत्य ।
  • यह कोरकू आदिवासियों के बीच लोकप्रिय है।
  • मेघनाथ की याद में यह कार्यक्रम आयोजित किया गया है।
  • इसमें मुख्य वाद्य यंत्र झाँझ और मृदंग है।

खुशहाली और पर्यावरण का पर्व हरेली

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