मध्यप्रदेश के लोकनृत्य | 001

मध्यप्रदेश के लोकनृत्य

निमाड़ क्षेत्र के लोकनृत्य

गणगौर नृत्य

  • यह नृत्य मुख्य रूप से गणगौर उत्सव के नौ दिनों के दौरान किया जाता है।

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  • यह निमाड़ क्षेत्र में गणगौर के अवसर पर देवता राणुबाई और धनियार सूर्यदेव के सम्मान में की जाने वाली भक्ति का एक रूप है।
  • नृत्य दो प्रकार के होते हैं – झालरिया और झेला नृत्य ।

काठी नृत्य

  • यह पार्वती की तपस्या से संबंधित मातृ पूजा का नृत्य है।
  • मुख्य वाद्ययंत्र – ढाक।
  • बाना नामक वेशभूषा (नर्तकों की वेशभूषा नेपाल के महाकाली नृत्य के समान होती है।)

कुअँर उदय सिंह अनुज का आलेख- निमाड़ का लोकनृत्य काठी

  • काठी देव प्रबोधिनी एकादशी से शुरू होकर महाशिवरात्रि पर समाप्त होती है।
  • इस्तेमाल किए गए उपकरण को फेफ्रिया भी कहा जाता है।

फेफारिया नृत्य

  • फेफारिया नृत्य विवाह के अवसर पर किया जाता है।

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माडल्या नृत्य

  • मांडल्या नृत्य ढोल पर किया जाता है।
  • यह नृत्य केवल महिलाओं द्वारा किया जाता है।

आड़ा खड़ा नृत्य

  • निमाड़ क्षेत्र में जन्म, मुडन व विवाह के अवसर पर प्रदर्शित किया जाता है।
  • मुख्य वाद्ययंत्र ढोल है।

डंडा नृत्य

  • हिंदी महीने के चैत्र वैशाख में प्रदर्शित किया जाता है।
  • गणगौर पर्व के अवसर पर।

paai danda

  • यह एक पुरुष नृत्य है।
  • प्रमुख वाद्ययंत्र – ढोल और थाली।

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मालवा क्षेत्र के लोकनृत्य

मटकी नृत्य

  • सगाई विवाह के अवसर पर मालवा गाँव की महिलाएं मटकी नृत्य करती है।
  • प्रारंभ में यह एकल महिला नृत्य था जिसे झेला कहा जाता है।

आड़ा-खड़ा-रजवाड़ी नृत्य

  •  सभी अवसरों पर किया जाता है।
  • लेकिन शादी में मंडप के नीचे रजवाड़ी नृत्य किया जाता है।

कानडा नृत्य

  •  बुंदेलखंड में यह मूल रूप से धोबी समाज के लोगों द्वारा किया जाता है।
  •  मुख्य वाद्य – सारंगी, लोटा, ढोलक, इकतारा और मृदंग।
बुंदेलखंड क्षेत्र के लोकनृत्य

सेरा नृत्य

  •   बुंदेलखंड के श्रावण, भादो में सैरा नृत्य किया जाता है।
  •    यह पुरुष प्रधान नृत्य है।
  •    इस नृत्य में ढोलक, टिमकी, मंजीरा, मृदंग और बाँसुरी वाद्य प्रमुख है।

राई नृत्य

  •  यह नृत्य किसी भी अवसर के लिए विशिष्ट नहीं है।
  • मुख्य नर्तकी – बेड़नी।
  •  यंत्र- मृदंग

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बधाई नृत्य

  • शादी के मौके पर इसे बधाई देने के लिए प्रदर्शित।
  •  इस नृत्य में महिला तथा पुरूष दोनों की भूमिका होती है।
  •  बधाई एक ताल है जिसे ढोलकी या ढसले पर बजाया जाता है।

ढिमरयाई नृत्य

  • ढ़ीमर जाति के लोग इस नृत्य को करते हैं, इसलिए इसे ढिमरयाई नृत्य कहा जाता है।

ढिमरयाई लोक नृत्य की जानकारी folk Dance Dhimaryai नृत्य of MP

बरेदी नृत्य

  • मौनियाँ नृत्य को ही अहीर या बरेदी या दिवारी नृत्य कहते हैं।
  •  यह पुरुषप्रधान समूह नृत्य है।
बघेलखंड क्षेत्र के लोक नृत्य

बिरहा(अहीराई) नृत्य

  • जब अहीर लोग बिरहा नृत्य करते हैं, तो इसे अहीराई कहा जाता है।
  • बघेलखंड में सभी जातियों के बीच बिरहा नृत्य लोकप्रिय है। विरहा नृत्य अहीर, तेली, गडरिया, वारी जातियों में विशेष रूप से लोकप्रिय है।

राई नृत्य

  •  बुदेलखंड की तरह बघेलखंड में वीर राई नृत्य प्रचलित है।
  • बेड़नी और मृदंग राई बुदेलखंड में प्रचलित है, जबकि बघेलखंड में  ढोलक और नगाड़ी प्रचलित है।

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केहरा नृत्य

  •   केहरा नृत्य में पुरुष और महिला दोनों अलग-अलग शैलियों में नृत्य करते हैं।
  •   इसकी मुख्य लय कहरवा है।
  •  नृत्य के दौरान महिलाएं फिरहरी लेती हैं।

दादर नृत्य

  •  दादर नृत्य किसी विशेष अवसर पर पुरुषों द्वारा किया जाता है।
  • कभी-कभी पुरुष महिला भेष में नृत्य करते हैं।
  •  कोल, कोटवार, कहार दादर के लिए विशेष रूप से प्रसिद्ध है, ये जातियों दादर से सम्बंधित है।
  • दादर के प्रमुख संगीत वाद्य ढोलक, ठप (Stalled) और शहनाई है।

कलसा नृत्य

  • बारात के स्वागत में सिर पर ऊँ रखकर नृत्य करने की परंपरा है।
  •  अहीर तथा चरवाहों में समान रूप से प्रचलित है।

Kalsa nritya {awadhi} choreographed by nidhi srivastava at CSI raj bhawan Lucknow - YouTube

  • द्वार पर स्वागत के बाद नृत्य शुरू होता है।

कमली नृत्य

  • कमली नृत्य को साजन-सजना नृत्य भी कहा जाता है।
  •  कमली में पुरुष और महिला दोनों भाग लेते हैं।
  •  यह शादी के मौके पर प्रदर्शित किया जाता है।

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