मध्यप्रदेश में कृषि(UNIT – 6)
कृषि की वर्तमान स्थिति
- मध्यप्रदेश देश के खाद्यान्न, दलहन और तिलहन के शीर्ष उत्पादक राज्यों में से एक है। यह देश के खाद्यान्न का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है।
- वर्ष 2022-23 में मध्यप्रदेश राज्य के सकल मूल्य वर्धन (जी वी ए) में प्राथमिक क्षेत्र का योगदान 32% है।
- मध्यप्रदेश सरकार को 2021 में 7 वीं बार कृषि कर्मण पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
- वर्ष 2021-22 की तुलना में वर्ष 2022-23 में प्राथमिक क्षेत्र में विकास दर 24% तथा फसल क्षेत्र में 5.46% रहा है।
- वर्ष 2022-23 (अ.) के दौरान फसल क्षेत्र में 46 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। वर्ष 2021-22 की अपेक्षा वर्ष 2022-23 में अनाज के क्षेत्रफल में क्रमशः 1.11 प्रतिशत की वृद्धि रही है।
- अनाज एवं तिलहन उत्पादन में क्रमशः 58 एवं 16.38 प्रतिशत की वृद्धि तथा दलहन उत्पादन में 17.04 प्रतिशत की वृद्धि रही है। कुल फसलों के उत्पादन में गत वर्ष की तुलना में वर्ष 2022-23 में 4.16 प्रतिशत की वृद्धि परिलक्षित हुई है।
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मिलेट का अंतर्राष्ट्रीय वर्ष – 2023
- मिलेट जैसे ज्वार, बाजरा, कोदो-कुटकी आदि कई स्वास्थ्य लाभों के लिए जाने जाते हैं एवं जलवायु परिवर्तन के प्रति लचीले होते हैं, और इनके उत्पादन के लिए गेहूं और धान की तुलना में सिंचाई में कम पानी की आवश्यकता होती है।
- सरकार ने कोदो कुटकी की खेती को प्रोत्साहित करने के लिए वर्ष 2020 में एमपी राज्य मिलेट मिशन और मुख्यमंत्री कोदो-कुटकी खेती सहायता योजना जैसी विभिन्न योजनाएं और कार्यक्रम भी शुरू किए हैं, जो किसानों को बीज और अन्य आदानों की खरीद के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करते हैं।
- किसानों के लिए बेहतर मूल्य सुनिश्चित करने के लिए कोदो कुटकी के मार्केट लिंकेज और मूल्य श्रृंखला में सुधार करने के प्रयास किए जा रहे हैं।
- मंडला कोदो और कुटकी मिलेट के उत्पादन का मुख्य केंद्र है, जिसे खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा शुरू की गई सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उद्यम (पीएमएफएमई) योजना के तहत एक जिला एक उत्पाद (ओडीओपी) के रूप में भी पहचाना गया है।
प्रमुख दालों का उत्पादन
- मध्यप्रदेश में उगाई जाने वाली प्रमुख दलहनी फसलों में तुअर (अरहर), चना (ग्राम), मसूर (लेन्टिल) और उड़द हैं।
- विगत दस वर्षों में चना, उड़द और मसूर के उत्पादन में 2.49, 9 और 17.76% की औसत वार्षिक वृद्धि हुई है।
- प्रमुख वाणिज्यिक फसलों का उत्पादन
- राज्य में प्रमुख वाणिज्यिक फसलों में सरसों, सोयाबीन और कपास शामिल हैं।
- मध्यप्रदेश भारत में सोयाबीन का सबसे बड़ा उत्पादक है।
- पिछले 10 वर्षों में सरसों, सोयाबीन और कपास औसत उत्पादन में क्रमशः 10.3, 13 और 8.5% की औसत वार्षिक वृद्धि दर है।
प्रमुख योजनाएँ और कार्यक्रम
प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (पीएमकिसान)
- प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि भारत सरकार की महत्वपूर्ण योजनाओं में से एक है एवं यह एक केंद्रीय प्रायोजित योजना है।
- इस योजना के तहत शुरू में केवल छोटे और सीमांत किसान जिनके पास 2 हेक्टेयर से कम भूमि है, उन्हें पात्र माना जाता था, लेकिन बाद में इसे बढ़ा दिया गया और सभी किसानों के लिए लागू किया गया है।
- इस योजना के तहत, सभी किसानों को न्यूनतम आय सहायता के रूप में प्रति वर्ष 6 हजार रुपये मिल रहे हैं। यह योजना 2018 रबी सीजन में शुरू की गई थी।
- बुवाई से ठीक पहले नकदी संकट का सामना कर रहे किसानों को इस नकदी से बीज, उर्वरक और अन्य आदानों की सुविधा मिल रही है।
- मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री किसान कल्याण योजना एक राज्य स्तरीय योजना है जो राज्य में किसानों को आय सहायता प्रदान करती है।
- इस योजना के तहत मध्यप्रदेश में, पात्र किसानों को प्रति वर्ष 4,000 रुपये प्रति किसान प्रति वर्ष वित्तीय सहायता मिलती है।
- यह सहायता 2,000 रुपये की दो किस्तों में प्रदान की जाती है, और इसका उद्देश्य किसानों को बीज, उर्वरक और अन्य आदानों सहित उनके कृषि खर्चों में मदद करना है।
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना
- यह एक केंद्र प्रायोजित योजना है और मध्यप्रदेश ने इस योजना के तहत अच्छा प्रदर्शन किया है। यह योजना फसल विफलता के खिलाफ बीमा कवर प्रदान करने और कम प्रीमियम दर पर किसानों की आय को स्थिर करने में सहायता प्रदान करती है।
- योजना को बढ़ावा देने और अधिक किसानों को इससे जोड़ने के लिए फसल बीमा सप्ताह का आयोजन किया गया।
परम्परागत कृषि विकास योजना (पीकेवीवाई)
- वर्ष 2015-16 से राज्य में परंपरागत कृषि विकास योजना
- (पीकेवीवाई) चलायी जा रही है। इसका उद्देश्य राज्य में जैविक खेती को प्रोत्साहित करना है।
- यह किसानों को फसल के उत्पादन से लेकर प्रमाणन और विपणन तक एंड-टू-एंड सहायता प्रदान करती है। इस योजना के तहत, किसानों को 3 वर्ष के लिए 50,000 रुपये प्रति हेक्टेयर की वित्तीय सहायता प्राप्त होती है।
- इसके अंतर्गत जैव- उर्वरकों, जैव-कीटनाशकों और जैविक खाद जैसे आदानों (input) के लिए 62% राशि सीधे डीबीटी के माध्यम से प्रदान की जाती है।
राष्ट्रीय कृषि विकास योजना
- यह एक केंद्रीय वित्त पोषित कार्यक्रम है, जिसमे मध्यप्रदेश ने आरंभ से अंत तक अच्छा प्रदर्शन किया है।
- एनएडीपी/आरकेवीवाई का उद्देश्य फसल उत्पादकता में सुधार करना और किसानों को लाभ बढ़ाना है।
- यह केंद्र और राज्य सरकारों के बीच 60:40 लागत-साझाकरण के साथ राज्य के सभी जिलों में लागू किया गया है।
- इसके अंतर्गत जैविक सब्जी की खेती और बागवानी फसलों के लिए वित्तीय सहायता दी जाती है।
राष्ट्रीय कृषि विस्तार मिशन “एटीएमए”
- यह योजना राज्य में किसानों को कृषि मशीनीकरण को अपनाने और राज्य की कृषि विस्तार प्रणाली को मजबूत करने के लिए शुरू की गई है।
- इस योजना का उद्देश्य कृषि विस्तार सेवाओं को किसान-संचालित और किसान उत्तरदायी बनाकर उनमें सुधार करना है।
- यह योजना अब राष्ट्रीय कृषि विस्तार और प्रौद्योगिकी मिशन के नाम से लागू की गई है। जिला स्तर पर एटीएमए गवर्निंग बोर्ड और प्रबंधन समितियों का गठन किया गया है।
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन
- राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन एक केंद्र प्रायोजित बहु-आयामी योजना है।
- धान, गेहूं और दालों के उत्पादन को बढ़ाने के लिए अक्टूबर, 2007 में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (एनएफएसएम) शुरू किया गया था।
मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना
- यह योजना फरवरी वर्ष 2015 में कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा शुरू की गई थी।
- यह किसानों को उनकी मिट्टी के पोषक तत्वों की स्थिति के बारे में जानकारी प्रदान करने के साथ उसकी उर्वरता और स्वास्थ्य में सुधार करने के बारे में अनुशंसा करता है।
- इसके अंतर्गत मिट्टी के नमूने एकत्र करने और अन्य गतिविधियों के लिए प्रति विकास खंड से एक गांव का चयन किया जाता है। चालू वित्तीय वर्ष में 57,000 से अधिक कार्ड वितरित किए गए हैं।
कृषि यंत्रीकरण
- कृषि यंत्रीकरण कार्यक्रमों को बढ़ावा देने से राज्य में कृषि शक्ति की उपलब्धता 2007-08 में 0.85 किलोवाट प्रति हेक्टेयर से बढ़कर 2019-20 में 2.33 किलोवाट/हेक्टेयर हो गई है, जो भारत के औसत 2.08 किलोवाट प्रति हेक्टेयर से अधिक है।
- राज्य का लक्ष्य विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से अगले चार वर्षों में कृषि बिजली की उपलब्धता को 3.25 किलोवाट प्रति हेक्टेयर तक बढ़ाना है।
- कृषि उपकरण प्रोत्साहन कार्यक्रम योजना से बुवाई, निदाई, गुडाई, कटाई के यंत्रों का प्रदर्शन किया जाता है कौशल विकास एवं प्रशिक्षण कार्यक्रम के अंतर्गत प्रदेश के ग्रामीण बेरोगार युवकों को कृषि उपकरण तथा मशीनरी मरम्मत अथवा रखरखाव के कौशल को निखारने हेतु प्रशिक्षण प्रदाय करना है।
प्रधान मंत्री कृषि सिंचाई योजना (माइक्रोइरिगेशन)
- यह योजना वर्ष 2015-16 से चल रही है। यह एक केंद्र प्रायोजित योजना है।
- भारत सरकार प्रधान मंत्री कृषि सिंचाई योजना (पीएमकेएसवाई) के माध्यम से जल संरक्षण और प्रबंधन को प्राथमिकता दे रही है, जिसका उद्देश्य सिंचाई कवरेज का विस्तार करना और जल उपयोगिता में सुधार करना है।
- वितरण हेतु प्रमाणित बीज
- प्रमाणित बीज वितरण योजना किसानों को उच्च गुणवत्ता वाले, रोग मुक्त बीजों को प्रदान करने के लिए डिज़ाइन किया गया कार्यक्रम हैं जिसे विशिष्ट गुणवत्ता मानकों को पूरा करने के रूप में प्रमाणित किया गया है।
- प्रदेश में कृषि उत्पादकता में सुधार के लिए बीज प्रतिस्थापन दर बढ़ाने के लिए बीज ग्राम योजना एवं अन्य योजनाओं के माध्यम से गुणवत्तापूर्ण बीजों का वितरण किया जा रहा है।
अन्य
- एमपी किसान मोबाइल ऐप – एमपी किसान ऐप एक एकीकृत मोबाइल प्लेटफॉर्म है जो किसानों को एक ही स्थान पर विभिन्न भूमि और कृषि से संबंधित जानकारी और सेवाएं प्रदान करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
- यूनिक फार्मर आईडी (यूएफआईडी) – किसानों से संबंधित विभिन्न डिजिटल डेटाबेस को मिलाकर एक एकीकृत किसान डेटाबेस बनाया गया है। यह स्थानीय डेटा संचालित योजना और फसल क्षेत्र और उत्पादन के सटीक अनुमान में सहायता कर रहा है।
उद्यानिकी
- उद्यानिकी क्षेत्र में फसल विविधीकरण और नई तकनीक को अपनाने को बढ़ावा देने के लिए कई उपायों को लागू किया है।
- उद्यानिकी में उगाए जाने वाले उत्पादों के लिए उच्च गुणवत्ता वाले वृक्षारोपण सामग्री, ग्रेडिंग, छंटाई, पैकेजिंग आदि के उत्पादन के लिए एक या अधिक केंद्रीकृत सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी।
- उद्यानिकी निदेशालय विभिन्न योजनाओं को लागू करके औषधीय और सुगंधित फसलों सहित बागवानी फसलों के उत्पादन और उत्पादकता का विस्तार करने पर काम कर रहा है।
- मध्यप्रदेश के प्रमुख फलों में अमरूद, आम, केला एवं नारंगी आते हैं।
- केले, आम और नारंगी का औसत उत्पादन क्रमशः 33, 5.97 और 16.63 लाख मेट्रिक टन है जो पिछले 5 वर्षों में 5%, 7% और 2% की वार्षिक वृद्धि दर दर्शाता है।
- गेंदा उत्पादन और क्षेत्र ने पिछले कुछ वर्षों के दौरान गुलाब उत्पादन को लगातार पीछे छोड़ दिया है।
- हाल के वर्षों के दौरान, प्रमुख औषधीय पौधों में सबसे बड़ा क्षेत्र और उत्पादन है इसबघोल का रहा जिसके बाद अश्वगंधा और सफेद मूसली आते हैं
- प्रमुख योजनाएं/कार्यक्रम
- फलारोपण योजनाः मध्यप्रदेश सरकार किसानों को आम, अमरूद और अनार जैसे फल लगाने के लिए 60:20:20 की दर से 3 साल के लिए 40% का अनुदान एवं आरसीओ फल के पौधे प्रदान करती हैं।
- व्यावसायिक उद्यानिकी फसलों की संरक्षित खेती की प्रोत्साहन योजना : उद्यानिकी फसलों की संरक्षित खेती और फसलों के लिए बीमा सुरक्षा के लिए 50% सब्सिडी प्रदान करता है। यह योजना ग्रीनहाउस, प्लास्टिक मल्चिंग आदि के लिए निर्माण मानदंड निर्धारित करती है।
- एकीकृत बागवानी विकास मिशनः एमआईडीएच एक केंद्रीय योजना है जिसके अंतर्गत विभिन्न उद्यानिकी फसलों क्षेत्र विस्तार करना और उत्पादन को बढ़ाना है।
- पीएम माइक्रो फूड अपग्रेडेशन स्कीम (पीएमएमईएमई): PMFME योजना भारत सरकार द्वारा 29 जून, 2020 को सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों को वित्तीय, तकनीकी और व्यावसायिक सहायता प्रदान करने के लिए शुरू की गई थी, जिसमें कृषि-खाद्य प्रसंस्करण के अंतर्गत आने वाले सहायक समूहों पर ध्यान केंद्रित किया जाना था।
अन्य
- मध्यप्रदेश में उत्पादित प्रमुख मसाले लाल मिर्च, लहसुन, धनिया और अदरक हैं।
- लाल मिर्च का औसत उत्पादन पिछले 5 साल में 2.59 लाख मेट्रिक टन रहा जो 10.4% वार्षिक वृद्धि दर दिखा रहा है।
- इसी तरह, अदरक और लहसुन का औसत उत्पादन 4.45 और 19.28 लाख मेट्रिक टन रहा जो 5 वर्षों में 8 और 3% की औसत वार्षिक वृद्धि दर दिखा रहा है।
- मध्यप्रदेश में उत्पादित प्रमुख सब्जियां आलू, प्याज और टमाटर हैं। पिछले 5 साल में आलू, प्याज और टमाटर का औसत उत्पादन क्रमशः 34.75, 08 और 27.65 लाख मेट्रिक टन रहा।
कृषि विपणन
- मंडी समितियाँ किसानों के लिए उचित मूल्य और बेहतर विपणन सुविधाएं प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
- ई-अनुज्ञा (ई-परमिट) प्रणाली – कृषि उपज के व्यापार को सरल बनाने के लिए कृषि उपज बाजार समितियों (एपीएमसी) में ई-अनुज्ञा (ई-परमिट) प्रणाली शुरू की गई थी। व्यापारी खरीदे गए अनाज को मंडी से बाहर ले जाने के लिए अनापत्ति प्रमाण पत्र बना सकते हैं। ई-परमिट जारी करना स्वचालित है और व्यापारी फॉर्म -10 घोषणा पत्र ऑनलाइन उपलब्ध हैं। ई-अनुज्ञा से मंडी व्यापार में पारदर्शिता और सुगमता आई है एवं लाइसेंस के दुरुपयोग को समाप्त कर कृषि विपणन में तेजी आई है।
- ‘सौदा पत्रक‘ ऐप का शुभारंभ – अप्रैल 2021 में, मध्यप्रदेश के राज्य कृषि विपणन बोर्ड ने “सौदा पत्रक” पहल शुरू की, जो पंजीकृत मंडी व्यापारियों को एमएसपी पर किसानों के घर से कृषि उपज खरीदने की अनुमति देती है। व्यापारी रसीद प्राप्त कर 1.7% मंडी कर का भुगतान करते हैं। कार्यक्रम की सफलता ने कागजी कार्रवाई को कम करने के लिए जून 2021 में “सौदा पत्रक ऐप” लॉन्च किया। मध्यप्रदेश में ‘सौदा पत्रक’ पहल ने मंडियों में भीड़ कम कर किसानों को उचित मूल्य और त्वरित भुगतान की पेशकश की है। एमपी फार्मगेट ऐप (संस्करण 2.0) को आठ मंडियों और उज्जैन मंडी में एक पायलट के रूप में लॉन्च किया गया था, जिससे किसानों को बिक्री के लिए अपनी उपज प्रदर्शित करने और व्यापारियों को उनके द्वारा तय की गई कीमत पर बेचने की अनुमति मिलती है।
भंडारण सुविधा
- मध्यप्रदेश फसल कटाई के बाद के नुकसान के कारण खाद्य अधिशेष प्रबंधन चुनौतियों का सामना कर रहा है।
- वित्तीय नुकसान से बचने और खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए, मूल्य संवर्धन और भंडारण क्षमताओं का विस्तार आवश्यक है।
- कृषि उपज के वैज्ञानिक भंडारण हेतु मध्यप्रदेश वेयरहाउसिंग एण्ड लॉजिस्टिक्स कार्पोरेशन(निगम) की 293 शाखाओं पर 93 लाख मेट्रिक टन कार्यशील क्षमता हैं।
- निगम का प्रमुख उद्देश्य कृषकों को भंडारण की सुविधा देना है। सामान्य कृषकों हेतु 30 प्रतिशत एवं अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के कृषकों हेतु 40 प्रतिशत भंडारण शुल्क में रियायत प्रदान की जाती है।