मध्यप्रदेश में सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम (MSME)
मुख्यमंत्री उद्यम क्रांति योजना 2022
- इस योजना का लक्ष्य स्व-रोजगार के लिए संपार्श्विक-मुक्त ऋण प्रदान करना है।
- इस योजना के तहत ब्याज सहायता का उद्देश्य लाभार्थियों के लिए ब्याज लागत को कम करना और परियोजना व्यवहार्यता में वृद्धि करना है।
- इस योजना का उद्देश्य राज्य में स्वरोजगार के अवसरों को बढ़ाने के लिए एमएसएमई इकाइयों का विस्तार करना है।
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मध्यप्रदेश स्टार्टअप नीति और कार्यान्वयन योजना 2022
- शासन ने मध्यप्रदेश को स्टार्टअप और इनक्यूबेटरों के लिए एक पसंदीदा गंतव्य के रूप में स्थापित करने के लिए ‘मध्यप्रदेश स्टार्टअप नीति 2022’ शुरू की है।
- राज्य सरकार का दृष्टिकोण स्कूल और कॉलेज स्तर पर अकादमिक हस्तक्षेप के माध्यम से स्टार्ट-अप की संस्कृति को संस्थागत बनाना और स्टार्ट-अप, निवेशकों, इनक्यूबेटरों और अन्य हितधारकों को जोड़कर एक सक्षम पारिस्थितिकी तंत्र बनाना है।
- राज्य के स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत करने के लिए योजना के तहत कई योगदान किए गए हैं:–
- बाजार तक पहुंचः मध्यप्रदेश सरकार ने अप्रैल माह 2018 में “पूर्व कारोबार”, “पूर्व अनुभव” और “ईएमडी जमा करने” जैसे मानदंडों को शिथिल करने के लिए एक प्रस्ताव पारित किया ताकि स्टार्टअप को सार्वजनिक खरीद प्रक्रिया में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित किया जा सके।
- फंडिंग सहायताः मध्यप्रदेश वेंचर फाइनेंस लिमिटेड और मध्यप्रदेश वेंचर फाइनेंस ट्रस्टी लिमिटेड को मध्यप्रदेश लघु उद्योग निगम के साथ विलय कर दिया गया है ताकि स्टार्टअप को फंडिंग के लिए एक विशेष उद्यम पूंजी निधि बनाई जा सके।
- नवाचार और उद्यमिता को बढ़ावा देनाः फरवरी माह 2023 तक राज्य के स्टार्टअप पोर्टल में पंजीकृत 2597 स्टार्टअप हैं। राज्य ने उभरते छात्र उद्यमियों का समर्थन करने के लिए उच्च शिक्षा संस्थानों के साथ कई कार्यक्रम आयोजित किए हैं। कार्यक्रमों में उद्योग अकादमिक नवाचार जैसे विषयों पर विभिन्न वेबिनार आयोजित किये गए हैं। राज्य ने उभरते निवेश योग्य स्टार्टअप को उद्यमशीलता सहायता प्रदान करने के लिए राज्य भर के विभिन्न उच्च शिक्षा संस्थानों में एक उद्यमिता विकास प्रकोष्ठ (ईडीसी) की स्थापना की है।
- मध्यप्रदेश के कुछ प्रमुख स्टार्टअप आरटीआईवाला, स्वहा, अपॉइंटमेंटी, विटीफीड और शॉप किराना हैं।
एमएसएमई विकास नीति 2021
- राज्य सरकार द्वारा रोजगार सृजन, समावेशी विकास, सक्रिय नीति एवं नियामकीय वातावरण बनाने, स्वरोजगार के अवसर सृजित करने और इनके माध्यम से प्रदेश के समग्र औद्योगिक विकास की दृष्टि से एमएसएमई विकास नीति 2021 जारी की गई है।
- उद्देश्य
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- समग्र औद्योगिक विकास और एमएसएमई प्रतिस्पर्धा को प्राप्त करने के राज्य के लक्ष्य को प्राप्त करना।
- आधारभूत संरचना को सक्षम बनाना
- एक अनुकूल वातावरण का निर्माण करना और एमएसएमई के लिए समावेशी विकास को बढ़ावा देना।
- रोजगार सृजन के माध्यम से युवा उद्यमियों को अवसर प्रदान करना
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पारंपरिक उद्योग
खादी और ग्रामोद्योग विकास
- प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम योजना (पीएमईजीपी) : योजनान्तर्गत वर्ष 2020-21 में 20 हजार तक की आबादी वाले ग्रामों में खादी तथा ग्रामोद्योग आयोग द्वारा इकाईयों की स्थापना हेतु 1199 इकाईयों को राशि रुपये 89 करोड़ मार्जिन मनी का वितरण किया गया, जिससे 12562 व्यक्तियों को रोजगार प्रदान हुआ है।
- खादी और ग्रामोद्योग उत्पादन : मध्यप्रदेश के विभिन्न स्थानों पर सूती खादी, पॉली वस्त्र, रेशमी खादी, ऊनी खादी एवं अन्य ग्रामोद्योग उत्पादन के कुल 14 उत्पादन केन्द्र संचालित किये जा रहे हैं।
- खादी एवं ग्रामोद्योग विक्रय: प्रदेश में संचालित कुल 14 विक्रय एम्पोरियमों द्वारा वर्ष 2020-21 में राशि रुपये 10 करोड़ की खादी एवं ग्रामोद्योग सामग्री का विक्रय किया गया। वर्ष 2021-22 में माह सितम्बर 2021 तक राशि रुपये 2.39 करोड़ के उत्पादों का विक्रय किया गया है।
हथकरघा
- हाथकरघा उद्योग परम्परागत एवं कलात्मक वस्त्रों के उत्पादन की विरासत कों बनाये रखते हुये प्रदेश के बुनकरों को रोजगार भी प्रदान करता है।
- वर्ष 2022-23 में माह सितम्बर, 2022 तक कार्वी संस्था की रिपोर्ट के अनुसार राज्य में 30 हजार हाथकरघे कार्यशील रहे है।
- कार्यशील करघों से लगभग 10 हजार बुनकर / कारीगरों को रोजगार प्रदान किया गया।
- वर्ष 2022-23 में एकीकृत क्लस्टर विकास कार्यक्रम योजना, हाथकरघा एवं हस्ताशिल्प क्षेत्रों के लिये विपणन सहायता योजना, कौशल एवं तकनीकी विकास सहायता योजना एवं कबीर बुनकार पुरुस्कार योजना अंतर्गत माह नवम्बर 2022 तक कुल राशि रूपये 04 करोड़ की वित्तीय सहायता स्वीकृत की गई।
रेशम कीट पालन
- कृषि वानिकी पर आधारित रेशम उद्योग का मुख्य उद्देश्य ग्राम में ही ग्रामीणों को लाभदायक रोजगार के साधन उपलब्ध कराना है, जिससे वे अपना जीविकोपार्जन सुचारू रूप से कर सकें।
- वर्ष 2022-23 के सितंबर माह तक 0.31 लाख किलो मलबरी कोया एवं 2.46 लाख नग टसर कोया का उत्पादन हुआ है।
- रेशम संचालनालय द्वारा कृषको के चयन एवं पंजीयन प्रक्रिया को परदर्शी बनाने एवं लेखांकन तथा पर्यवेक्षण को प्रभावी बनाने हेतु ई-रेशम पोर्टल तैयार किया गया है।
पर्यटन उद्योग
- संरक्षित वन क्षेत्र एवं वन्य प्राणी, ऐतिहासिक भवन, मंदिर एवं धार्मिक महत्व के स्थल मध्यप्रदेश में पर्यटन के आर्कषण के प्रमुख केन्द्र हैं।
- 2021 की तुलना में वर्ष 2022 में धार्मिक पर्यटक स्थलों के लिए पर्यटकों की संख्या में 122% की वृद्धि हुई है और वर्ष 2022 में गैर-धार्मिक पर्यटन स्थलों के लिए पर्यटकों की संख्या में 58% की वृद्धि हुई।
- मध्यप्रदेश होम स्टे स्थापना (पंजीयन एवं विनियमन) योजना 2019: पर्यटकों को प्रदेश की संस्कृति, परम्पराओं एवं भोजन के अनुभव सहित स्वच्छ वातावरण में ठहरने की सुविधा में जनभागीदारी को बढ़ावा देने एवं स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर बढ़ाने के लिये होम स्टे इकाइयों की स्थापना, बेड एवं बेकफास्ट, ग्राम स्टे एवं फार्मस्टे योजना क्रियान्चित की जा रही है।
- जिला पर्यटन प्रोत्साहन परिषद का गठनः जिलों में वीकेंड एवं स्थानीय पर्यटन को बढ़ावा देने, सांस्कृतिक एवं पर्यटन उत्सवों के आयोजन तथा निजी निवेश से स्थानीय स्तर पर पर्यटन स्थलों के विकास एवं संचालन के लिये जिला पुरातत्व एवं पर्यटन परिषद् के गठन का प्रावधान किया गया है। वर्तमान में प्रदेश के समस्त जिलों में जिला पुरातत्व एवं पर्यटन परिषद् गठित की गई हैं।
- ग्रामीण पर्यटनः मध्यप्रदेश के प्रमुख पर्यटन स्थलों या पर्यटन महत्व के स्थलों के समीप स्थानीय/ग्रामीण समुदाय द्वारा संचालित सांस्कृतिक अनुभव आधारित ग्रामीण पर्यटन का प्रारंभ किया जा रहा है।
- मध्यप्रदेश रिस्पॉन्सिबल टूरिज्म मिशन : मध्यप्रदेश में पर्यटन को अधिक उत्तरदायी और टिकाऊ बनाने के लिए प्रदेश में “मध्यप्रदेश रिस्पॉन्सिबल टूरिज्म मिशन” की शुरुआत की गई है। मिशन का मुख्य उद्देश्य पर्यटन से जुड़े स्थानीय समुदाय का सामाजिक विकास, आर्थिक विकास और पर्यावरण संरक्षण है। मध्यप्रदेश पर्यटन बोर्ड ने परियोजनाओं के बेहतर कार्यान्वयन के लिए केरल रेस्पोंसिबल पर्यटन मिशन, केरल सरकार और इंटरनेशनल सेंटर फॉर रिस्पॉन्सिबल टूरिज्म (आईसीआरटी) यूके के साथ एक अनुबंध पर हस्ताक्षर किए हैं।