मध्य प्रदेश की लोक चित्रकला
निमाड़ क्षेत्र की लोक चित्रकला
- पगल्या – पहले बच्चे के जन्म पर शुभ संदेश का रेखांकन किया जाता है।
- जिरोती – हरियाली अमावस्या पर बनाए गए भित्ति चित्र है।
- दशहरा – दशहरे के दिन चित्र शैली बनाकर रावण की पूजा की जाती है।
- ईस्त – विवाह में कुलदेवी के भित्ति चित्र बनाकर पूजा की जाती है।
- कंचाली भरना – शादी के मौके पर दूल्हे दुल्हन के सिर पर कचाली भरी जाती है।
- मांडना – विशेष रूप से दीपावली के समय त्योहारों के दौरान घर के आंगन में भूमि अलंकरण के रूप में मांडता बनाया जाता है।
मालवा क्षेत्र की लोक चित्रकला
- सांजाफुली – यह मालवा की किशोरियों का त्योहार है जो पूरे श्राद्ध पक्ष में मनाया जाता है। गोवर के फूल या चमकदार पत्तियों से सजा की अलग-अलग पारंपरिक आकृतियों बनाते हैं।
- चित्रावण – चित्र वर्णन में चमकीले रंगों का प्रयोग किया गया है। यह विवाह के समय घर के मुख्य द्वार पर बना चित्र।
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बघेलखंड क्षेत्र की लोक चित्रकला
- नेऊरा नमें – भादो महीने की नवमी पर विवाहित महिलाओं द्वारा पारंपरिक भित्ति चित्र की पूजा की जाती है।
- छठी चित्र – बच्चे के जन्म के छठे दिन गेरू से छठी माता का चित्र बनाया।
- तिलंगा – कोयले में तिल्ली के तेल को मिलाकर तिलगा का भित्ति चित्र।
- कोहवर वैवाहिक अनुष्ठान भित्ति चित्रों को कोहबर कहा जाता है।
- नाग भित्ति चित्र – ये भित्ति चित्र नाग पंचमी के अवसर पर दीवारों पर गेरु से नाग का चित्र बनाकर बनाए जाते हैं।
- बारायन/अगरोहन – मंडप में विवाह के अवसर पर दुल्हनों का श्रृंगार किया जाता है। दीवारों पर मोर भित्ति चित्र बनाये जाते है।
बुंदेलखंड क्षेत्र की लोक चित्रकला
- सुरेती – दीपावली के अवसर पर लक्ष्मी पूजा के समय महिलाओं द्वारा इसको रेखांकित किया जाता है। सुरेती का रेखाकन गेरु रंग से किया जाता है।
- नौरता – नवरात्रि में अविवाहित लड़कियों द्वारा बनाया गया एक भित्ति चित्र है। जो गेरु हल्दी छुई मिट्टी आदि से बनाया जाता है। इसमें लड़कियाँ सउटी सम्बन्धी गीत गाती है।
- मोरते – मोरते विवाह भित्ति चित्र है। यह दरवाजे के दोनों ओर दीवार पर बने होते है। यह वो जगह है जहाँ दूल्हा-दुल्हन हल्दी का इस्तेमाल करते हैं।
- गोधन (गोवर्धन) – गोवर्धन गाय के गोबर से बनता है। दीपावली पर्व पर इसकी पूजा की जाती है।
- मोरेइला – मोरेइला का अर्थ है मोर की पेंटिंग इसे मोर मुरेला भी कहते हैं। दीवारों को छुई हुई मिट्टी से पोत कर उस पर मोर की एक जोड़ी की आकृतियों पतली गीली मिट्टी से बनाई जाती है।