म.प्र. में जनजातियों के प्रमुख प्रकाशन
वन्या प्रकाशन
- वन्या प्रकाशन की स्थापना 25 मार्च 1980 को मध्य प्रदेश के आदिवासी कल्याण विभाग के तहत आदिवासी परंपरा, सांस्कृतिक भव्यता के प्रचार और संरक्षण के लिए की गई थी।
- वन्या अपनी विभिन्न प्रतिबद्धताओं को पूरा करने के लिए विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन करती है। इसलिए वन्या देश में दूर-दूर तक फैलते हुए मध्य प्रदेश में अहम भूमिका निभा रही है।
- वन्या आधुनिक मुद्रण और इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों के उपयोग के माध्यम से सुदूर वन क्षेत्रों में मौजूद आदिवासी परंपराओं और संस्कृति को वर्तमान समाज के साथ जोड़ने में प्रभावी रही है।
- इसके अलावा वन्या आदिवासी कलाकारों को कला की दुनिया से परिचित कराने और उनके कौशल को प्रदर्शित करने के लिए एक मंच प्रदान करने के लिए उच्चतम स्तर पर कार्यशालाओं और प्रदर्शनियों या आदिवासी चित्रकला और मूर्तियों का आयोजन करता है। वन्या के प्रयासों का परिणाम है कि मध्य प्रदेश के विभिन्न आदिवासी कलाकारों ने देश में विभिन्न उपलब्धियाँ हासिल की हैं।
- हाल के वर्षों में वन्या प्रकाशन की प्रमुख गतिविधियों का एक सिंहावलोकन जो आदिवासी जीवन, परंपराओं, संस्कृति और विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं के उचित प्रदर्शन को बढ़ावा देता है।
- श्रव्य-दृश्य प्रकाशन
- ‘बढ़ते कदम‘ – एक साप्ताहिक रेडियो कार्यक्रम
- ‘नए द्वार‘ – साप्ताहिक टेलीविजन कार्यक्रम
- ‘आदिवासी स्वर‘ – वृत्तचित्र फिल्मों की एक श्रृंखला
- लेखन प्रकाशन
- संदर्भ पुस्तकों का प्रकाशन एवं मरम्मत
- ‘समझ झरोखा‘ – एक मासिक बाल पत्रिका
- ‘जन-गण कलाम‘ – एक किताब
- ‘वन्या सन्दर्भ‘ – एक पाक्षिक फीचर श्रृंखला
- ‘वन्या बुलेटिन‘ – समाचार श्रृंखला
- टंट्या मामा पर स्केच(चित्र) बुक
- श्रीराम तिवारी वर्तमान में वन्या के प्रबंध निदेशक हैं। श्री श्रीराम तिवारी को साहित्य, कला, सिनेमा और भारतीय देशभक्ति मूल्यों, आदिवासी संस्कृति, इसके इतिहास और संबंधित साहित्य को बढ़ावा देने से संबंधित विभिन्न गतिविधियों में उनकी विविध रुचियों के लिए जाना जाता है।
- संस्थान द्वारा अनुसूचित जनजातियों की जीवन संस्कति, विकास एवं अन्य प्रासंगिक विषयों पर केन्द्रित पुस्तकों, अनुसंधान, मूल्यांकन, अध्ययन संबंधी प्रतिवेदनों के अलावा छ:माही शोध पत्रिका बुलेटिन का प्रकाशन किया जाता हैा
https://t.me/swayammpofficial001
आदिम जातीय अनुसंधान और विकास संस्थान, भोपाल के कुछ प्रकाशन बिक्री हेतु संस्था में उपलब्ध है जो निम्नानुसार है : –
-
- सभी जनजातियों का शब्दकोश और व्याकरण – उदाहरण के लिए गोंडी हिन्दी शब्दकोश, 2006 आदि।
- आदिवासी धरोहर, 2003 3. Tribal Stride, 2007
- जनजातीय गोदना: श्रंगार और उपचार, 2012
- भील जनजातीय समूह के सांस्कतिक आयाम, 2015
- हिरौंदी मुंदरी, 2017
- पारम्परिक बैगानी गीत, 2017
- जनजातीय वाद्य, 2020 9. गोंड पेटिंग, 2020
- संग्रहालय प्रादर्श, 2020
- परम्परागत जनजातीय बॉस शिल्पकला, 2020
- मवासी जनजाति के परम्परिक लोक गीत, 2021
- मध्यप्रदेश के जनजातीय नृत्य, 2021