ऑप्टिकल फाइबर क्या है?
निर्माण :- ऑप्टिकल फाइबर सिलिकॉन डाइऑक्साइड + सोडियम ऑक्साइड + कैल्श्यिम ऑक्साइड से बना होता है।
अवधारणा
- वर्ष 1870 में,
- ब्रिटिश वैज्ञानिक जॉन डिनडॉल ने।
आधारित :- पूर्ण आंतरिक परावर्तन के सिद्धांत पर।
उदाहरण
- ट्रेफिक लाइट में,
- ऑटोमेटिक टोल बूथ में, व a
- कैंसर व फेफड़ों के इलाज में।
ऑप्टिकल फाइबर की विशेषताएँ
- इसका प्रयोग 1-100 TH, की आवृत्तियों की तरंगों के संचरण में होता है ।
- सूचनाओं का संप्रेषण प्रकाश पुंजों के रूप में होता है।
- इसमें विद्युत ऊर्जा का क्षय नहीं होता।
- इसमें विद्युत क्षेत्र का सृजन नहीं होता ।
- इसमें एनालॉग या डिजिटल सूचना को प्रकाश उत्सर्जक डायोड द्वारा प्रकाश संकेतों में बदला जाता है।
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डॉर्क फाइबर
- यह एक ऑप्टिकल फाइबर है।
- इसे बिछाया जा चुका हैं, परंतु वर्तमान में इस फाइबर ऑप्टिक का संचार में उपयोग नहीं है।
- अधिक बैंडविड्थ की आवश्यकता होने पर लागत पुनरावृत्ति से बचने के लिए कम्पनियाँ इस ऑप्टिकल फाइबर का उपयोग करती है।
- रिलायंस जियो, भारती एयरटेल और वोडाफोन आइडिया ने डॉर्क फाइबर हेतु भारत ब्रॉडबैंड नेटवर्क लिमिटेड से सम्पर्क किया है।
अन्य तथ्य
- भारत में ऑप्टिकल फाइबर की पहली लाइन पुणे के शिवाजी नगर से कंटोमेंट के बीच बिछायी गयी।
- भारत का पहला ऑप्टिकल फाइबर कारखाना मध्यप्रदेश में है।
- देश का पहला ऑप्टिकल फाइबर केबल युक्त शहर गुरूग्राम है।
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