बोधिसत्व क्या है? सूची, आदर्श, गुण और परिभाषा | UNIT – 1
बोधिसत्व क्या है? जो व्यक्ति बुद्ध बनने या मोक्ष प्राप्त करने के मार्ग पर हैं उन्हें बोधिसत्व के रूप में […]
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सभा और समिति | UNIT- 1 \ MPPSC PRE 2024 सभा और समिति प्राचीन भारत में जनतांत्रिक संस्थाएँ थीं। वैदिक
भारत में जनजातियों से संबंधित संवैधानिक प्रावधान सामाजिक सुरक्षा अनुच्छेद 17 – अस्पृश्यता की प्रथा का उन्मूलन। संसद ने सिविल
कर्म का सिद्धान्त( Law of Karma ) ’कर्म सिद्धान्त’में विश्वास कहा जा सकता है। चार्वाक को छोड़कर भारत के सभी
पंचमहायज्ञ धर्मशास्त्रों ने हर एक गृहस्थ को रोजाना पंचमहायज्ञ करना जरूरी माना है। इस संबंध में मनुस्मृति में कहा गया
16 संस्कार संस्कारों का हिंदू धर्म में बहुत अधिक महत्व होता है। जन्म से लेकर मृत्यु तक कहीं तरह के
म.प्र. की घुमन्तू जातियाँ-PART – 1 विमुक्त, घुमक्कड़(खानाबदोश) और अर्द्ध-घुमंतू जनजाति विमुक्त ऐसे समुदाय हैं जिन्हें ब्रिटिश शासन के दौरान
पुरुषार्थ पुरुषार्थ भारतीय समाज में पुरुषार्थ के बिना मानव जीवन की कल्पना करना भी असंभव है। पुरुषार्थ भारतीय दर्शन की
वर्णाश्रम/वर्णव्यवस्था वर्णाश्रम का परिचय ‘वर्ण’ शब्द का अर्थ रंग और वर्ण दोनों ही होता है। प्राचीन समय में, वर्ण का