Phishing:
Phishing, हैकर्स द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले ऑनलाइन अटैक का सबसे आम तरीका है. फिशिंग में हमलावर खुद को एक विश्वसनीय सोर्स की तरह पेश करता है और एक मैलिशियस ईमेल भेजता है जो पहली नज़र में वैलिड लगता है. इस तरह का असली दिखने वाला ईमेल भेजने के पीछे हैकर का मकसद यूज़र्स का नाम, पासवर्ड, क्रेडिट कार्ड और बाकी बैंकिंग डिटेल हासिल करना होता है. एक सामान्य फिशिंग हमले का एक उदाहरण आपके सोशल मीडिया अकाउंट के पासवर्ड की एक्सपायर के बारे में एक ईमेल हो सकता है. ईमेल में एक लिंक शामिल होने की संभावना होती है जो पहली नज़र में असली लगता है, लेकिन अगर ध्यान से देखा जाए, तो आपको इसकी स्पेलिंग में कुछ हेरफेर दिखाई दे सकती है. 1) निजी जानकारी को शेयर करने से बचें: सोशल मीडियो, फोरस या किसी कंपनी की वेबसाइट पर निजी डिटेल देने से बचें. यानी कि ऑनलाइन होने पर कभी भी अपने पर्सनल और सेंसिटिव जानकारियां, जैसे कि आधार नंबर, बर्थडेट, घर के पते को पब्लिक डोमेन में न शेयर करें 2) Password बदलते रहें: भले ही आपका पासवर्ड स्ट्रॉन्ग और कठीन हो, लेकिन अपने अकाउंट का पासवर्ड नियमित रूप से बदलना एक अच्छी हैबिट हो सकती है. 3) ईमेल में आए किसी भी लिंक पर क्लिक करने से बचें लिंक पर क्लिक करने से पहले, सुनिश्चित करें कि वेबसाइट वैलिड है. 4) Install करें Anti-Phishing प्लग, Antivirus भरोसेमंद एंटी-वायरस सॉफ्टेवेयर का इस्तेमाल करके अपने सिस्टम को बार स्कैन करते रहें.स्पूफिंग क्या है?
स्पूफ़िंग एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें सेंडर अपनी असली पहचान छुपाकर किसी नकली पहचान को एक मास्क की तरह इस्तेमाल करके आपको गलत इंफॉर्मेशन देता है और उसके बदले में आप से असली इंफॉर्मेशन हासिल कर लेता है जिसका वह मनमाने तरीके से इस्तेमाल कर सकता है। स्पूफ़िंग का सबसे बड़ा नुकसान यह है की इसमें रिसीवर या विक्टिम (जिसके साथ धोखाधड़ी हुई है) को हमेशा यही भ्रम रहता है की वह ओरिजिनल सोर्स से इंफॉर्मेशन हासिल कर रहा है जबकि वह source नकली होता है। स्पूफिंग का इस्तेमाल जानकारी इकट्ठा करने, धोखाधड़ी करने या कभी-कभी सिर्फ मनोरंजन के लिए किया जाता है। लेकिन कोई भी कारण हो स्पूफ़िंग एक क्राइम है। स्पूफिंग को मेनली पांच भागों में बांटा गया है जो कि अलग-अलग कम्युनिकशन टेक्निक का इस्तेमाल करते हैं।- IP spoofing
- Caller ID spoofing
- Email spoofing
- ARP spoofing
- Content spoofing
- TCP/IP और SMTP प्रोटोकॉल्स के अंदर मौजूद कुछ कमियां।
- लोकल एरिया नेटवर्क में 100% सिक्योरिटी संभव नहीं हो पाती है।
- पब्लिक वाईफाई में किसी भी तरह की सिक्योरिटी का इस्तेमाल नहीं किया जाता है। 4. लोगों के पास साइबर नॉलेज और साइबर क्राइम की जानकारी की कमी होना।
- बिना पूरी जानकारी या ट्रेनिंग के नई तकनीकों का इस्तेमाल करना।
- इस्तेमाल किये जाने वाले कम्युनिकेशन मीडियम या टेक्नोलॉजी का पूरा नॉलेज होना।
- सिक्योरिटी सॉफ्टवेर, एप्लीकेशन या तकनीक का इस्तेमाल करना
- किसी भी अननोन सोर्सेस से आने वाले किसी भी तरह के मैसेज ईमेल या प्रमोशनल ऑफर को एक्सेप्ट नहीं करना
- एडवर्टाइजमेंट में दिखाई जाने वाली किसी भी तरह की एप्लीकेशन को इंस्टॉल नहीं करना
- कोई भी नई एप्लीकेशन या सॉफ्टवेयर सिर्फ और सिर्फ ट्रस्टेड सोर्स से ही इनस्टॉल करना।
- पब्लिक वाईफाई का कम से कम इस्तेमाल करना
- LAN को पासवर्ड प्रोटेक्टेड रखना
- कॉन्फिडेंशियल डाटा की इंफॉर्मेशन को लगातार अपडेट करते रहना।
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