सतत् विकास लक्ष्यों{SDG} में मध्यप्रदेश की प्रगति


पर्यावरण योजना एवं समन्वय संगठन (EPCO)

  • पर्यावरण नियोजन एवं समन्वय संगठन (एप्को) की स्थापना वर्ष 1981 में म.प्र. शासन के आवास एवं पर्यावरण विभाग के अन्तर्गत एक स्वशासी संस्था के रूप में की गई थी।
  • वर्तमान में यह गरीय विकास एवं पर्यावरण विभाग, म.प्र. शासन के अन्तर्गत कार्य कर रहा है।
  • विगत वर्षों में एप्को पर्यावरण से संबंधित परामर्शी कार्यों में राज्य सरकार की प्रमुख संस्था है।
  • एप्को विभिन्न परियोजनाओं में राज्य सरकार के साथ मिलकर कार्य कर रहा है।
  • महामहिम राज्यपाल मध्यप्रदेश शासन संगठन के अध्यक्ष हैं।
  • माननीय मुख्यमंत्री जी, म.प्र. शासन, एवं माननीय मंत्री, नगरीय विकास एवं पर्यावरण विभाग उपाध्यक्ष हैं।
  • एप्को के महानिदेशक एवं प्रमुख सचिव, नगरीय विकास एवं पर्यावरण विभाग, म.प्र. शासन, एप्को के शासी परिषद् के अध्यक्ष हैं।
  • कार्यपालन संचालक, एप्को के कार्यकारी प्रमुख हैं।
  • पर्यावरण नियोजन एवं समन्वय संगठन (एप्को) दूरदर्शिता के कारण एक अनूठा संगठन है, जिसने पिछले 34 वर्षों में पर्यावरण के क्षेत्र में तेजी से विकास एवं पर्यावरण समस्याओं एवं उसके निदान व पर्यावरण के प्रति जागरूकता पर ध्यान केन्द्रित किया है।sdg in mp

राष्ट्रीय हरित  कोर(NGC)

  • राष्ट्रीय हरित कोर (NGC) MoEFCC की एक राष्ट्रव्यापी पहल है।
  • पर्यावरण मंत्रालय द्वारा एप्को को NGC योजना के लिए राज्य नोडल एजेंसी के रूप में नियुक्त किया गया है।
  • मप्र के सभी 52 जिलों में कई इको क्लबों का गठन किया गया हैं और गतिविधिया संचालित करने के लिए प्रत्येक इको क्लबों को 5000/- का वार्षिक अनुदान प्रदान किया जाता है।
  • योजना अंतर्गत एप्को द्वारा मास्टर ट्रेनर्स, क्विज मास्टर्स और ईको क्लब प्रभारी शिक्षको के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जाते है।

मध्यप्रदेश राज्य जलवायु परिवर्तन ज्ञान प्रबंधन केंद्र(SKMCCC)

  • वर्ष 2010 में मध्यप्रदेश शासन ने पर्यावरण नियोजन एवं समन्वय संगठन (एप्को) के अंतर्गत एक विशेष जलवायु परिवर्तन इकाई की स्थापना की।
  • SKMCCC म.प्र. राज्य  में जलवायु परिवर्तन से संबंधित ज्ञान का सृजन, संकलन, संश्लेषण एवं प्रसारण का कार्य करता है।
  • साथ ही ‘एप्को’ को राज्य में जलवायु परिवर्तन के मुद्दों पर नोडल एजेंसी की तरह काम करने के लिए अधिसूचित किया गया।
  • इसी जलवायु परिवर्तन इकाई ने जलवायु परिवर्तन हेतु मध्यप्रदेश राज्य कार्य योजना का निर्माण किया जिसे पर्यावरण और वन मंत्रालय भारत सरकार ने वर्ष २०१२ में अनुमोदित किया है।
  • जैसे जैसे विश्व स्तर पर जलवायु परिवर्तन की बहस स्थानीय मुद्दों और इसके दुष्प्रभावों से निपटने की दिशा में मुडी, वैसे ही मध्यप्रदेश ने भी इस कार्य योजना की अनुशंसाओं के क्रियान्वयन की तैयारी शुरू कर दी।jalvayu paribartam
  • उद्देश्य
    1. जलवायु परिवर्तन सम्बन्धी ज्ञान का भण्डार निर्मित करना
    2. जलवायु परिवर्तन सम्बन्धी ज्ञान तक पहुँच व उसके हस्तांतरण को सुधारना
    3. जलवायु परिवर्तन सम्बन्धी ज्ञान तक पहुँच व उसके हस्तांतरण को सुधारना
    4. जलवायु परिवर्तन सम्बन्धी ज्ञान को एक महत्वपूर्ण साधन की भांति उपयोगी करना
  • राष्ट्रीय जल मिशन पुरस्कार 2019 – यहाँ यह उल्लेखनीय है कि जल शक्ति मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा SKMCCC, EPCO को राष्ट्रीय जल मिशन पुरस्कार 2019 के तहत पानी के संरक्षण के क्षेत्र में अनुकरणीय कार्य करने तथा पानी का अपव्यय रोक कर बेहतर जल प्रबंधन के लिए प्रदान किया गया । इस पुरूस्कार द्वारा “जल संसाधनों पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव का आकलन” श्रेणी के तहत एप्को को विजेता के रूप में सम्मानित किया गया।
  • क्लाईमेट स्मार्ट गांवों विकास – SKMCCC ने मध्य प्रदेश के तीन संवेदनशील जिलों यथा राजगढ़, सतना और सीहोर (प्रत्येक के 120 गाँव) में 360 क्लाइमेट स्मार्ट गाँवों को विकसित करने की एक परियोजना तैयार की है। इस परियोजना को राष्ट्रीय जलवायु परिवर्तन निधि (NAFCC) के तहत MoEFCC द्वारा अनुमोदित किया गया है।
  • अन्य
  • बुरहानपुर शहर के पारंपरिक जल आपूर्ति स्रोतों (कुएं तथा बावड़ियाँ) के संरक्षण की परियोजना।
  • इंदौर शहर के कुएं, बावड़ियाँ एवं पारंपरिक जल आपूर्ति स्रोतों के संरक्षण की परियोजना।

मध्य प्रदेश राज्य जलवायु परिवर्तन कार्य योजना(MP SAPCC)

  • इस विस्तृत कार्ययोजना को तैयार करने का उद्देश्य राज्य की अपनी चुनौतियों का आकलन और उसके अनुरूप योजना तैयार करना है।
  • एपको के जलवायु परिवर्तन सेल ने व्यापक तैयारियों के साथ यह कार्य योजना २०१४ में तैयार की है।
  • इस कार्य योजना में उद्योग, ऊर्जा, जल, कृषि, मत्स्य पालन, वानिकी, लोक स्वास्थ्य और सार्वजनिक परिवहन जैसे राज्य के सभी प्रमुख क्षेत्रों की पहचान की गई है, जिन पर तत्काल ध्यान देने की जरूरत है।
  • एक सुविचारित और विस्तृत कार्ययोजना के जरिए राज्य में सभी प्रमुख क्षेत्रों के लिए भविष्य का रास्ता साफ तौर पर अंकित कर दिया गया है। साथ ही इससे जुड़े अलग-अलग विभागों और एजेंसियों के आपसी तालमेल का खाका भी खींच दिया गया है।

EPCO – UNDP परियोजना चरण- III

  • यह परियोजना UNDP के साथ निरंतर भागीदारी का तीसरा चरण है।
  • MoEFCC ने देश के तीन राज्यों की पहचान की है जहाँ SAPCC के क्रियान्वयन के लिए UNDP, स्विस एजेंसी फॉर डेवलपमेंट एंड कोऑपरेशन (SDC) के सहयोग से तीनों राज्यों (मध्य प्रदेश, सिक्किम और उत्तराखंड) को मजबूत करने की परियोजना में सहभागी रहा है।
  • मध्य प्रदेश में इस परियोजना का उद्देश्य जल क्षेत्र पर विशेष ध्यान देते हुए SAPCC के क्रियान्वयन में राज्य की सहायता करना है।

शहर स्तरीय जलवायु कार्य योजनाएं (CAP)

  • विश्व पर्यावरण दिवस 05 जून 2023 के अवसर पर माननीय मुख्यमंत्री जी द्वारा भोपाल में इन कार्य योजनाओं का विमोचन किया गया है।
  • पर्यावरण योजना और समन्वय संगठन (EPCO) ने WRI इंडिया के तकनीकी सहयोग से, भोपाल, इंदौर, जबलपुर, ग्वालियर, सतना, सागर और उज्जैन सहित मध्य प्रदेश राज्य के सभी 7 स्मार्ट शहरों के लिए शहर स्तरीय जलवायु कार्य योजना (CAPs) तैयार की है।
  • यह स्मार्ट सिटी मिशन के तहत आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा शुरू किए गए Climate Smart Cities Assessment Framework के अनुपालन के रूप में किया गया है।
  • शहरों पर जलवायु परिवर्तन के प्रतिकूल प्रभावों को कम करने के लिए इन कार्य योजनाओं में शहरों के सतत विकास की अनुशंशाओ को रेखांकित किया गया है।
  • शहर की सीमा के भीतर अक्षय ऊर्जा, वायु गुणवत्ता और गतिशीलता, हरित आवरण और जैव विविधता, जल संसाधन प्रबंधन और अपशिष्ट प्रबंधन के क्षेत्रों में विशेष जोर दिया गया है।

ग्रीन गणेश अभियान

  • मूर्ति विसर्जन से जलीय निकायों में होने वाले प्रदूषण की रोकथाम हेतु एप्को द्वारा ग्रीन गणेश अभियान प्रारम्भ किया गया है।
  • अभियान का उद्देश्य जन सामान्य, विशेषकर विद्यालयीन छात्रों में मूर्ति विसर्जन के कारण जलीय निकायों में होने वाले प्रदूषण तथा उनके रोकथाम की दिशा में जागृति उत्पन्न करना है।

सिंहस्‍थ हेतु काम्‍प्रेहेन्सिव मेला तैयार करना

  • राज्‍य शासन द्वारा सिंहस्‍थ 2016 हेतु विस्‍तृत मेला तैयार करने का कार्य एप्‍को को सौंपा गया था।
  • एप्‍को द्वारा सिंहस्‍थ मेला क्षेत्र हेतु विस्‍तृत मेला प्‍लान तैयार कि‍या गया था तथा इसके आधार पर अधोसंरचना विकास कार्य कि‍ये गये थे।
  • फलस्‍वरूप सिंहस्‍थ 2016 का सफलतापूर्वक आयोजन किया गया। एप्‍को द्वारा सिंहस्‍थ 2028 हेतु मेला प्‍लान तैयार करने का प्रस्‍ताव राज्‍य शासन को स्‍वीकृति हेतु भेजा गया है।

इंदिरा गांधी फैलोशिप

  • राज्य शासन द्वारा एप्को के माध्यम से पर्यावरण संरक्षण एवं प्रबंधन के क्षेत्र में शोध अध्ययन हेतु प्रदेश के निवासियों जिनकी उम्र 40 वर्ष से कम है, को इंदिरा गांधी फैलोशिप प्रदान की जाती है।
  • इंदिरा गांधी फैलोशिप के अंतर्गत चयनित व्यक्ति को दो वर्ष के लिए प्रतिमाह राशि रू. 25000 फैलोशिप तथा कन्टिन्जेन्सी के रूप में कुल राशि रू. 1.00 लाख प्रदान की जाती है।

समग्र विकास योजना

  • एप्को द्वारा प्रदेश के विभिन्न नगरों को आदर्श नगर के रूप में विकसित करने हेतु समग्र विकास योजना तैयार करने का कार्य प्रारम्भ किया गया है।
  • एप्को द्वारा यह कार्य नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग के लिए किया जा रहा है।
  • परियोजनान्तर्गत एप्‍को द्वारा अब तक सीहोर जिले के 4 नगरों, सागर जिले के 13 नगरों एवं विदिशा के विकास हेतु अवधारणात्‍मक समग्र वि‍कास योजना तैयार कर सौंपे जा चुके हैं।

सतत विकास की ओर बढ़ता पहला शहर : भोपाल

  • मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल, सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) को प्राप्त करने की दिशा में अपनी प्रगति को मापने वाला भारत का पहला शहर बन गया है।bhopal
  • शहर ने एक स्वैच्छिक स्थानीय समीक्षा (वीएलआर) प्रक्रिया को अपनाया है, जो एक उपकरण है जो शहरों को एसडीजी पर उनकी प्रगति का आकलन करने और उन क्षेत्रों की पहचान करने में मदद करता है जहां उन्हें सुधार करने की आवश्यकता है।
  • भोपाल में वीएलआर प्रक्रिया एक मूल्यवान उपकरण है जो भारत के अन्य शहरों को एसडीजी पर उनकी प्रगति को मापने और उन क्षेत्रों की पहचान करने में मदद कर सकता है जहां उन्हें सुधार करने की आवश्यकता है। यह शहर और पूरे भारत के लिए सही दिशा में एक कदम है।भोपाल में वीएलआर प्रक्रिया को संयुक्त राष्ट्र मानव निपटान कार्यक्रम (यूएन-हैबिटेट) और कई अन्य स्थानीय हितधारकों के सहयोग से विकसित किया गया था। इसमें एसडीजी पर शहर के प्रदर्शन का व्यापक मूल्यांकन शामिल था, जिसमें डेटा की समीक्षा, हितधारकों के साथ साक्षात्कार और सार्वजनिक परामर्श शामिल थे।
  • वीएलआर प्रक्रिया ने भोपाल को कई क्षेत्रों की पहचान करने में मदद की है जहां इसे एसडीजी पर अपने प्रदर्शन में सुधार करने की आवश्यकता है। इनमें गरीबी, शिक्षा, स्वास्थ्य और पर्यावरण जैसे क्षेत्र शामिल हैं। शहर ने अब इन चुनौतियों का सामना करने और 2030 तक एसडीजी को प्राप्त करने के लिए कार्य योजना विकसित की है।

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