भारत में जनजातियों से संबंधित संवैधानिक प्रावधान

सामाजिक सुरक्षा

अनुच्छेद 17 – अस्पृश्यता की प्रथा का उन्मूलन। संसद ने सिविल अधिकार संरक्षण अधिनियम, 1955 और अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 अधिनियमित किए।

अनुच्छेद 23 – मानव का दुर्व्यापार और “बेगार” तथा अन्य बलात्श्रम प्रतिषिद्ध। संसद द्वारा बंधक मजदूर प्रथा (उन्मूलन) अधिनियम, 1976 बनाया गया है।

अनुच्छेद 24 – 14 वर्ष से कम आयु के बालक का कारखाने या खान में नियोजन प्रतिषिद्ध।

अनुच्छेद 25 (2) (ख) – सभी हिन्दु धार्मिक संस्थाएं, हिन्दुओं के सभी वर्गों और भागों के लिए खुली रहेंगी।

आर्थिक सुरक्षा

अनुच्छेद 46 – राज्य, जनता के दुर्बल वर्गों के, और विशेष रूप से अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के शैक्षिक और आर्थिक हितों की अभिवृद्धि करेगा।

अनुच्छेद 23 – पूर्ववत्

अनुच्छेद 24 – पूर्ववत्

शैक्षिक और सांस्कृतिक सुरक्षा

अनुच्छेद 15(4) : शैक्षिक संस्थाओं में और व्यावसायिक पाठ्यक्रमों में SC/ST को सीटों का आरक्षण।

अनुच्छेद 29: अल्पसंख्यकों के हितों का संरक्षण(अनुसूचित जनजाति शामिल)।

अनुच्छेद 46 : राज्य अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के शैक्षिक और आर्थिक हितों को बढ़ावा देगा।

अनुच्छेद 350 : विशिष्ट भाषा, लिपि या संस्कृति के संरक्षण का अधिकार।

राजनीतिक सुरक्षा

अनुच्छेद 330 : लोकसभा में सीटों का आरक्षण।

अनुच्छेद 332 : राज्य विधानसभाओं में सीटों का आरक्षण।

अनुच्छेद 243 : पंचायतों में सीटों का आरक्षण।

सेवा सुरक्षा उपाय

अनुच्छेद 16(4) – नियुक्तियों या पदों में आरक्षण का प्रावधान।

अनुच्छेद 16(4 ए) – राज्यों को SC/ST के लिए पदोन्नति में आरक्षण का प्रावधान।

राज्य विशेष के लिए प्रावधान

अनुच्‍छेद 371(क) – नागालैंड राज्‍य के संबंध में विशेष प्रावधान।

अनुच्‍छेद 371(ख) – असम राज्‍य के संबंध में विशेष प्रावधान।

अनुच्‍छेद 371(ग) – मणिपुर राज्‍य के संबंध में विशेष प्रावधान।

अनुच्‍छेद 371(च) – सिक्किम राज्‍य के संबंध में विशेष प्रावधान।

अन्य प्रावधान

अनुच्छेद 341 और अनुच्छेद 342 – क्रमशः अनुसूचित जाति (एससी) और की अनुसूचित जनजाति (एसटी) पहचान का प्रावधान।

अनुच्छेद 244(1) – पांचवीं अनुसूची को अनुसूचित जनजाति क्षेत्रों के लिए लागू करने का प्रावधान।

अनुच्छेद 275 – पांचवीं और छठी अनुसूची के अंतर्गत निर्दिष्ट राज्यों (एसटी और एससी) को सहायता अनुदान का प्रावधान करता है।

पांचवीं अनुसूची – असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिजोरम को छोड़कर किसी भी राज्य में अनुसूचित क्षेत्रों और अनुसूचित जनजातियों के प्रशासन और नियंत्रण से संबंधित है।

छठी अनुसूची – चार पूर्वोटर राज्यों असम, मेघालय, विकुरा और मिजोरम में जनजातीय क्षेत्रों के प्रशासन से संबंधित है।

अनुच्छेद 338 (क) इसके तहत 2003 में 89वें संविधान संशोधन अधिनियम द्वारा 2004 में राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग अस्तित्व में आया

अनुच्छेद 366(25) में अनुसूचित जनजाति की परिभाषा

अनुसूचित जनजाति उन जनजातियों, आदिवासी समुदायों अथवा उन जनजातियों व समुदायों के कुछ हिस्सों या समूहों को संदर्भित करता है, जिन्हें इस संविधान के प्रयोजनों के लिये अनुच्छेद 342 के तहत अनुसूचित जनजाति माना जाता है।

जनजातीय सलाहकार परिषद

• जनजातीय सलाहकार परिषद संवैधानिक निकाय है, जिन्हें पांचवीं अनुसूची के तहत स्थापित किया गया है।
• पांचवीं अनुसूची में अनुसूचित क्षेत्रों और अनुसूचित जनजातियों के प्रशासन के बारे में उल्लेख है।
• छठी अनुसूची चार उत्तर-पूर्व राज्यों मेघालय, असम, मिजोरम, त्रिपुरा में आदिवासी क्षेत्रों के प्रशासन से संबंधित है।
• अनुसूचित जनजातियों के कल्याण का ध्यान रखने के लिए जनजातीय सलाहकार परिषद में अधिकतम 20 सदस्य होते हैं।

अनुसूचित जनजातियों से सम्बंधित समितियाँ10 th unit
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